
हरियाणा में अब 40 प्रतिशत तक की दिव्यांगता वाले कर्मचारियों को भी सेवा विस्तार का लाभ मिलेगा। पहले केवल 70 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता या दृष्टिबाधित कर्मियों को ही लाभ मिलता था। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिव्यांग कर्मचारियों के पक्ष में यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
इसके साथ हरियाणा सरकार के पुराने नियमों को चुनौती देने वाली 134 रिट याचिकाओं का निपटारा भी कर दिया। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और रोहित कपूर की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि सिर्फ 70 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता और नेत्र दिव्यांगता वालों को ही दो वर्ष का सेवा विस्तार देना भेदभाव करने जैसा है। यह संविधान के भी खिलाफ है। लाभ सभी को मिलने चाहिए।
हाईकोर्ट ने इस फैसले में भूपिंदर सिंह बनाम पंजाब सरकार और हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के कश्मीरी लाल शर्मा के केस का भी उल्लेख किया। इन दोनों मामलों में भी सभी प्रकार के दिव्यांग कर्मचारियों को समान लाभ देने के लिए कहा गया है।
जोरा सिंह व अन्य ने याचिका दाखिल करते हुए कोर्ट को बताया था कि हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों की सेवा सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष है। दिव्यांग कर्मियों को सरकार ने दो साल का सेवा विस्तार देने का निर्णय लिया है लेकिन इसे केवल 70 फीसदी दिव्यांगता की श्रेणी तक ही सीमित कर दिया। उन्होंने इस नियम को दिव्यांग कर्मियों से भेदभाव बताया और इसे खारिज करने की मांग की थी।
हरियाणा सरकार का तर्क खारिज
हरियाणा सरकार ने तर्क दिया कि दिव्यांगता के नियम तय करना उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं। 70 प्रतिशत दिव्यांगता सीमा कर्मचारी संघ की मांग पर ही तय की गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह कानून की भावना के खिलाफ है। जिन कर्मचारियों के पास 40 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता का प्रमाणपत्र है, वे 60 वर्ष तक नौकरी करने के हकदार होंगे।



