स्वतंत्रता दिवस के दिन राजस्थान के दो स्कूलों में बड़ा हादसा, एक बच्ची की मौत, कई घायल

दो स्कूल हादसों ने स्वतंत्रता दिवस की खुशी को मातम में बदल दी. उदयपुर में छज्जा गिरने से 1 बच्ची की मौत हो गई, जबकि बूंदी में फॉल्स सीलिंग गिरने से 5 छात्राएं घायल हुईं. राजस्थान में इस बार स्वतंत्रता दिवस के जश्न के बीच दो दर्दनाक हादसों ने खुशियों पर पानी फेर दिया. उदयपुर और बूंदी में स्कूल की इमारतों के हिस्से गिरने से एक बच्ची की जान चली गई, जबकि करीब आधा दर्जन बच्चे घायल हो गए. दोनों ही हादसे 15 अगस्त के दिन अलग-अलग समय पर हुए और इन्होंने स्कूलों की जर्जर हालत और सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए.

उदयपुर में छज्जा गिरने से मासूम की मौत

पहला हादसा उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाके कोटड़ा के पाथर पड़ी गांव में हुआ. यहां एक सरकारी स्कूल की बिल्डिंग की मरम्मत का काम चल रहा था. बताया जा रहा है कि स्कूल काफी समय से जर्जर हालत में था और इसके छज्जे में दरारें पड़ चुकी थीं. 15 अगस्त को अचानक मरम्मत के दौरान छज्जा गिर पड़ा.

हादसे के वक्त स्कूल के पास दो बच्चियां बकरियां चरा रही थीं. मलबा गिरने से दोनों उसके नीचे दब गईं. स्थानीय लोगों ने तुरंत उन्हें बाहर निकाला, लेकिन तब तक एक बच्ची ने दम तोड़ दिया.

दूसरी बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने मौके पर जमकर हंगामा किया और स्कूल की सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया.

बूंदी में फॉल्स सीलिंग गिरी, 5 बच्चियां घायल

उधर, बूंदी जिले में एक प्राइवेट स्कूल में भी बड़ा हादसा हो गया. यहां अचानक क्लासरूम की फॉल्स सीलिंग गिर पड़ी, जिससे 5 छात्राएं घायल हो गईं. घायल बच्चियों की उम्र 6 से 13 साल के बीच है.

हादसे के बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई और शिक्षकों ने तुरंत बच्चों को बाहर निकाला. घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है.

स्कूल की दीवार गिरने की भी खबर

बूंदी जिले से एक और चिंताजनक खबर आई है. यहां एक अन्य स्कूल की दीवार अचानक गिर गई. हालांकि इस घटना में कोई बच्चा घायल नहीं हुआ, लेकिन यह हादसा भी स्कूलों की बिल्डिंग की खराब हालत को साफ दिखाता है.

लोगों में गुस्सा, जिम्मेदारी तय करने की मांग

दोनों घटनाओं के बाद इलाके के लोगों में काफी नाराजगी है. ग्रामीणों का कहना है कि स्कूलों की मरम्मत और रखरखाव के नाम पर सिर्फ कागजों में काम होता है, जबकि हकीकत में बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता. खासकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में स्कूल बिल्डिंग की हालत बेहद खराब है.

पहले भी हो चुका हैं हादसा

बता दें बीते दिनों झालावाड़ के पिपलौद गांव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई थी और दर्जनों घायल हो गए थे। सुबह प्रार्थना के लिए छात्र इकट्ठा हुए थे, तभी यह हादसा हुआ. घटना में लापरवाही पाए जाने पर 5 शिक्षकों और शिक्षा विभाग के एक अधिकारी को निलंबित किया गया था.

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