विजयपुर उपचुनाव: कांग्रेस के गढ़ में भाजपा प्रत्याशी बन सेंध लगा पाएंगे रावत?

विजयपुर विधानसभा में 2 लाख 55 हजार मतदाता हैं। इनमें से करीब 65 हजार यानी 20% से अधिक मतदाता आदिवासी समुदाय से आते हैं। विजयपुर में रामनिवास रावत के नामांकन भरने के दिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा दांव खेला है।

मध्य प्रदेश में 13 नवंबर को श्योपुर जिले की विजयपुर और सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीटों के उपचुनावों में मतदान होने वाला है। भाजपा-कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों का चयन करते समय जातीय समीकरणों पर विशेष ध्यान दिया है। भाजपा ने कांग्रेस से पार्टी आए छह बार के विधायक रामनिवास रावत को मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट पर आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा को टिकट दिया है। इस सीट पर आदिवासी वोटर निर्णायक हो सकते हैं।

कांग्रेस ने इसी वजह से एक आदिवासी नेता पर भरोसा जताया है। विजयपुर विधानसभा सीट के लिए दोनों ही प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत अब प्रदेश सरकार में वन मंत्री हैं। उनके भाजपा में आने का फायदा पार्टी को लोकसभा चुनावों में मिला भी था। ऐसे में अब कांग्रेस ने आदिवासी नेता के तौर पर मल्होत्रा को टिकट देकर भाजपा के सामने एक चुनौती पेश की है। भाजपा इस सीट को अपने पास रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुद ही चुनाव प्रचार की बागड़ोर अपने हाथ में ली। वह खुद विजयपुर गए और रावत का नामांकन भरवाया।

विजयपुर के जातीय समीकरण
विजयपुर विधानसभा में 2 लाख 55 हजार मतदाता हैं। इनमें से करीब 65 हजार यानी 20% से अधिक मतदाता आदिवासी समुदाय से आते हैं। जाटव मतदाता भी 40 हजार के करीब हैं। कुशवाह और धाकड़ समाज से 25-25 हजार वोटर हैं। इन चार समाजों के करीब डेढ़ लाख मतदाता ही किसी भी उम्मीदवार की जीत-हार तय करते हैं। विजयपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का परिणाम प्रमुख रूप से आदिवासी, जाटव, कुशवाह और धाकड़ समाज के वोटरों पर ही तय होगा।

कांग्रेस का गढ़ रहा है विजयपुर
श्योपुर की विजयपुर सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। 1990 से 2023 तक कांग्रेस के टिकट पर रामनिवास रावत ने यहां चुनाव लड़ा और छह बार जीत का परचम फहराया। 2003 से शुरू हुई भाजपा की लहर के बाद भी वे अपना गढ़ कायम रख सके। पिछले साल हुए चुनावों में भी उन्होंने आसान जीत दर्ज की थी। इसके अलावा जिले की श्योपुर सीट पर भी कांग्रेस के बाबू जंडेल ने 11 हजार वोट से जीत हासिल की थी। रावत के दलबदल करने से भाजपा का पलड़ा भारी जरूर हुआ है और उपचुनाव उनके इस पार्टी बदलने के फैसले पर जनमत संग्रह जैसा ही परिणाम देगा।

कांग्रेस नेताओं ने झोंकी ताकत
कांग्रेस ने भी विजयपुर सीट पर कब्जा कायम रखने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस नेता नीटू सिरकवार समेत कई नेता लगातार डटे हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़े मुकेश मल्होत्रा को आदिवासी समाज का साथ मिलने का दावा किया जा रहा है। मल्होत्रा ने निर्दलीय रहते हुए भी 44 हजार वोट हासिल किए थे। बसपा ने 34 हजार वोट लिए थे और उपचुनाव में पार्टी का उम्मीदवार नहीं है। आदिवासी और अनुसूचित जाति वोटरों का पलड़ा जिधर जाएगा, उसकी जीत तय बताई जा रही है।

वन ग्राम को राजस्व ग्राम बनाने का एलान
विजयपुर में रामनिवास रावत के नामांकन भरने के दिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा दांव खेला है। उन्होंने महिला वोटरों के साथ ही आदिवासी वोटरों को साधने के लिए बड़ी घोषणाएं की हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि उपचुनाव के बाद लाडली बहना योजना में रह गई महिलाओं को जोड़ा जाएगा। साथ ही पेसा मोबिलाइजर का वेतन दोगुना करने और वन ग्राम को राजस्व ग्राम बनाने की घोषणा भी की गई है।

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