लेह: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर पत्नी ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। इस याचिका में वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट की 6 अक्तूबर की कार्यसूची के अनुसार, यह याचिका न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन. वी. अंजनिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुए प्रदर्शन के दो दिन बाद एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था। यह प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर किया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे।

वांगचुक को राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद किया गया है।
पत्नी द्वारा दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी अवैध, मनमानी और असंवैधानिक है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 और 22 का उल्लंघन करती है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्हें बिना किसी मुकदमे के एक साल तक हिरासत में रखने के प्रावधान वाले एनएसए का दुरुपयोग किया गया है।
याचिका में केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन, लेह के डिप्टी कमिश्नर और जोधपुर जेल अधीक्षक को पक्षकार बनाया गया है। इसमें मांग की गई है कि वांगचुक को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए, उन्हें परिवार और वकील से मिलने की अनुमति दी जाए, और उन्हें दवाइयां, कपड़े और अन्य जरूरी सामान मुहैया कराए जाएं।

गीतांजलि अंगमो ने आरोप लगाया कि उन्हें खुद भी लेह में नजरबंद कर दिया गया है, और वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) के छात्रों और स्टाफ को परेशान और डराया-धमकाया जा रहा है।

याचिका में यह भी बताया गया कि वांगचुक को उनके उपवास के बाद की कमजोरी के बावजूद बिना दवा और जरूरी सामान दिए जोधपुर भेजा गया, और अभी तक गिरफ्तारी के कारणों की कोई जानकारी उन्हें या परिवार को नहीं दी गई है।

याचिका में यह गंभीर आरोप भी लगाया गया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी से लद्दाख में मानसिक तनाव का माहौल बन गया है, और हाल ही में एक बौद्ध संघ के सदस्य ने कथित तौर पर इसी वजह से आत्महत्या कर ली।

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