‘रूस से तेल खरीदते रहेंगे हम…’ अमेरिकी दबाव के बीच वित्त मंत्री का आया बड़ा बयान, कहा- ‘यह फैसला हमारा’

  रूस से तेल की खरीद को लेकर भारत पर अमेरिका के बढ़ते दबाव के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा. अमेरिका लगातार भारत पर रूसी तेल न खरीदने को लेकर दबाव बना रहा है. इसके लिए पेनाल्टी के तौर पर भारतीय सामानों पर 25 परसेंट एक्स्ट्रा टैरिफ भी लगा दिया गया. इसी के साथ भारत पर टैरिफ बढ़कर अब 50 परसेंट हो गया है. इन्हीं सबके बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान सामने आया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा. उन्होंने यह भी कहा कि उर्जा को लेकर किए जाने वाले फैसले पूरी तरह से राष्ट्रीय हित पर आधारित होते हैं. 

भारत अपनी जरूरतों के हिसाब से लेगा फैसला 

News18 को दिए एक इंटरव्यू में निर्मला सीतारमण ने कहा, ”भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा. हमें अपनी जरूरतों के हिसाब से तय करना है कि तेल कहां से खरीदना है. यह फैसला देश के हित के आधार पर लिया जाएगा.” उन्होंने आगे कहा, ”बात चाहे रूस से तेल खरीदने की हो या कुछ और… हम रेट्स, लॉजिटिक्स और दूसरी कई चीजों को लेकर अपनी जरूरतों के हिसाब से फैसला लेंगे. तेल खरीदना विदेशी मुद्रा से जुड़ी बात है इसलिए फैसला हम अपनी सुविधानुसार लेंगे. हम बेशक रूस से तेल खरीदते रहेंगे.” वित्त मंत्री ने कहा कि भारत कच्चे तेल के आयात पर सबसे ज्यादा खर्च करता है. 

अमेरिका का भारत पर आरोप 

वित्त मंत्री का यह बयान एक ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस से तेल खरीदने के जरिए यूक्रेन पर रूसी जंग को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं. इसी के मद्देनजर अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50 परसेंट टैरिफ लगाया और आने वाले महीनों में अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने की भी चेतावनी दी. इस साल जनवरी में राष्ट्रपति का पदभार संभालने वाले ट्रंप ने रूस के साथ कारोबार करने वाले देशों के खिलाफ ‘फेज-2’ और ‘फेज-3’ टैरिफ लगाने की धमकी दी. चीन के बाद भारत को रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बताते हुए उन्होंने कहा था कि अगर भारत रूस से तेल का आयात जारी रखता है, तो उसे पेनाल्टी देनी होगी. इन सारी बातों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी दरों में हुए सुधार से टैरिफ के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी.  

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