यूपी में अब बिना ओटीपी नहीं मिलेगा टेक होम राशन, योगी सरकार का बड़ा फैसला

फेस रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) का पायलट अगस्त 2024 में कानपुर नगर के बिधनू और सरसौल ब्लॉक में शुरू हुआ था. कमियों को दुरुस्त कर 1  नवंबर 2024 तक इसे सभी 75 जिलों में पहुंचा दिया गया.

उत्तर प्रदेश सरकार ने कुपोषण के खिलाफ अभियान को और मजबूत करने के लिए टेक‑होम राशन (THR) वितरण प्रणाली में बड़ा बदलाव किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 1 जुलाई 2025 से प्रदेश के सभी 1.18 करोड़ लाभार्थियों को राशन तभी मिलेगा जब उनका चेहरा फेस रिकॉग्निशन सिस्टम (एफआरएस) से सत्यापित होगा और पंजीकृत मोबाइल पर भेजा गया ओटीपी आंगनवाड़ी केंद्र पर मिलान किया जाएगा. उद्देश्य साफ है योजना का लाभ सिर्फ उन्हीं तक पहुँचे जो सच‑मुच पात्र हैं और फर्जीवाड़े की कोई गुंजाइश न रहे.

एफआरएस में दो चरण में पहचान होती है. पहले आंगनवाड़ी कार्यकत्री टैबलेट से लाभार्थी की लाइव फोटो लेती हैं, जिसे आधार‑आधारित ई‑केवाईसी डेटा से मिलाया जाता है. मैच होने पर लाभार्थी के मोबाइल पर छह अंकों का ओटीपी जाता है, जिसे दर्ज करते ही खाद्य‑पैकेट जारी कर दिया जाता है. यदि लाभार्थी के पास मोबाइल नहीं है तो अभिभावक या पति/पत्नी के नंबर से प्रक्रिया पूरी की जा सकती है.

एफआरएस का पायलट अगस्त 2024 में कानपुर नगर के बिधनू और सरसौल ब्लॉक में शुरू हुआ था. कमियों को दुरुस्त कर 1  नवंबर 2024 तक इसे सभी 75 जिलों में पहुंचा दिया गया. ताजा सरकारी आँकड़ों के मुताबिक 13 जून 2025 तक 1.18 करोड़ लाभार्थियों में से करीब 54 लाख का ई‑केवाईसी अपडेट हो चुका है. कानपुर, लखनऊ और गाजियाबाद जैसे शहर 45 फीसद से अधिक प्रगति पर हैं, जबकि बदायूँ और बहराइच जैसे जिलों में रफ्तार धीमी है. मुख्यमंत्री ने ऐसे जिलों के लिए विशेष ड्राइव चलाने का आदेश दिया है.

ब्लॉक और पंचायत स्तर पर रोजाना कैंप लगाएं

सभी डीएम को कहा गया है कि जुलाई की डेडलाइन से पहले‑पहले ब्लॉक और पंचायत स्तर पर रोजाना कैंप लगाएं. मुख्य विकास अधिकारी सीधे निगरानी करेंगे. आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को टैबलेट, पोर्टेबल नेट और जनरेटर की सुविधा दी जा रही है, ताकि दूरदराज गाँवों में भी ई‑केवाईसी हो सके. सोशल मीडिया, आकाशवाणी और ग्रामीण हाटों में प्रचार‑रथ भी भेजे जाएंगे.

टेक‑होम राशन योजना के तहत गर्भवती व धात्री माताओं 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों और स्कूल‑जाने वाली किशोरियों को पोषक खाद्य पैकेट दिए जाते हैं. पहले फर्जी नाम जोड़कर राशन उठाने और बाजार में बेचने की शिकायतें मिलती थीं. एफआरएस से अब एक‑एक पैकेट का डिजिटल ब्योरा रहेगा, जिससे सरकारी खजाने की बचत होगी और वास्तविक लाभार्थी कभी वंचित नहीं रहेंगे.

जरुरतमंद माँ‑बच्चों को सही समय पर पोषण मिलेगा

पोषण विशेषज्ञ इसे गेम‑चेंजर बता रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता वंशिका आहूजा कहती हैं पहचान दुरुस्त होगी तो जरुरतमंद माँ‑बच्चों को सही समय पर पोषण मिलेगा. इससे एनिमिया और अल्पवजन की दर में तेज गिरावट आ सकती है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि “कुपोषण मुक्त उत्तर प्रदेश मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है. एफआरएस लागू करने में ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी. सरकार को भरोसा है कि इस पारदर्शी व्यवस्था से न सिर्फ पोषण संकेतक सुधरेंगे बल्कि योजना पर जनता का भरोसा भी मजबूत होगा और यही सशक्त यूपी स्वस्थ यूपी का असली मकसद है.

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