
सामरिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि अमेरिका इस्राइल-ईरान संघर्ष में सीधे उतरता है तो यह पश्चिम एशिया के लिए सबसे गंभीर सुरक्षा संकट में बदल सकता है। तेहरान ने साफ कर दिया है कि क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य अड्डे न केवल ईरान की सुरक्षा के लिए खतरा हैं बल्कि मुस्लिम देशों की संप्रभुता के लिए भी चुनौती हैं।
ईरान ने खासतौर पर खाड़ी और पश्चिम एशियाई देशों को आगाह किया है कि वे अपनी जमीन को अमेरिका के साजिशी मंसूबों का हिस्सा न बनने दें। ईरान की रणनीति क्षेत्रीय सहयोगियों को सक्रिय कर बहुस्तरीय प्रतिरोध मोर्चा खड़ा करने की होगी। अल अरेबिया और मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्टों के अनुसार वर्तमान में अमेरिका के मध्य पूर्व में कुल 29 सैन्य अड्डे सक्रिय हैं। इनमें कतर का अल-उदेइद एयरबेस अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है। सऊदी अरब में प्रिंस सुल्तान एयरबेस, कुवैत में अली अल-सलेम और अरिफजान, यूएई में अल-धफरा एयरबेस समेत इराक व सीरिया में भी मजबूत मौजूदगी है।
अमेरिकी हमले का कड़ा जवाब देगा ईरान
यदि अमेरिका ईरान पर सीधा सैन्य हमला करता है तो ईरान उसे जवाब देने की पूरी तैयारी में है और यह जवाब केवल पारंपरिक सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं होगा। ईरान की सबसे बड़ी ताकत उसकी असामान्य युद्ध रणनीति (एसिमेट्रिक वारफेयर) है, जिसमें वह प्रत्यक्ष सैन्य टक्कर के बजाय गैर-सरकारी सशस्त्र गुटों, ड्रोन हमलों, सी मिसाइलों, और साइबर युद्ध जैसे विकल्पों का उपयोग कर सकता है।
ईरान के बड़े मददगार साबित हो सकते हैं सहयोगी ः ईरान के पास सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 300 से लेकर 2000 किलोमीटर तक है। ये मिसाइलें कतर, बहरीन, यूएई, सऊदी अरब और इराक स्थित अमेरिकी अड्डों तक आसानी से पहुंच सकती हैं। इसके अलावा ईरान के सहयोगी गुट जैसे हिज्बुल्ला (लेबनान), हूती विद्रोही (यमन), शिया मिलिशिया (इराक) और सीरिया में ईरानी समर्थक समूह, अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमले शुरू कर सकते हैं।
प. एशिया में अमेरिका के इस समय 29 सैन्य अड्डे
अल अरेबिया और मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्टों के अनुसार वर्तमान में अमेरिका के मध्य पूर्व में कुल 29 सैन्य अड्डे सक्रिय हैं। इनमें प्रमुख हैं कतर का अल-उदेइद एयरबेस, जो अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है। सऊदी अरब, कुवैत और यूएई में भी अमेरिका के बड़े सैन्य अड्डे हैं।
मुस्लिम देशों से भावनात्मक अपील
इस बीच इस्राइल की आक्रामकता को देखते हुए ईरान की सरकार और उसके हिज्बुल्ला, हूती विद्रोही और इराकी शिया मिलिशिया जैसे सहयोगी इस्लामी स्वाभिमान से जुड़े भावनात्मक बयानों के माध्यम से पूरे मुस्लिम जगत को अमेरिका के विरुद्ध एकजुट होने की अपील कर रहे हैं।
प. एशिया में बेहद मजबूत है अमेरिका
प. एशिया में अमेरिका की सैन्य ताकत को अत्यधिक उन्नत, तकनीकी और रणनीतिक माना जाता है। करीब 60,000 अमेरिकी सैनिक इस क्षेत्र में तैनात हैं। इनके पास आधुनिक लड़ाकू विमान, ड्रोन, युद्धपोत और मिसाइल प्रणाली जैसे साधन मौजूद हैं। अमेरिका की सेंट्रल कमांड का मुख्यालय भी इसी क्षेत्र में स्थित है, जो पूरे मध्य और दक्षिण एशिया में अमेरिकी अभियानों का संचालन करता है। अमेरिका अफगानिस्तान, अफ्रीका और एशिया के अन्य हिस्सों में भी हस्तक्षेप की क्षमता रखता हैं।