भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अमेरिका से आई अच्छी खबर, ट्रंप बोले- इंडिया के साथ कर सकते हैं समझौता

डोनाल्ड ट्रंप से पहले अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा था कि भारत, जवाबी शुल्क से बचने के लिए अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने वाले पहले देशों में शामिल होगा. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ शुल्क पर वार्ता बहुत अच्छी चल रही है और उन्हें लगता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता हो जाएगा. डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास और कार्यालय व्हाइट हाउस के बाहर पत्रकारों के साथ संक्षिप्त बातचीत में मंगलवार (29 अप्रैल, 2025) को यह बात कही.

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम भारत के साथ समझौता कर लेंगे.’ सीएनबीसी न्यूज ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के हवाले से कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) तीन हफ्ते पहले यहां आए थे और वे समझौता करना चाहते हैं.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी के अंत में व्हाइट हाउस का दौरा किया था. डोनाल्ड ट्रंप ने यह टिप्पणी अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट के उस बयान के एक दिन बाद की है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत, जवाबी शुल्क से बचने के लिए अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने वाले पहले देशों में शामिल होगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को भारत और चीन सहित कई देशों पर व्यापक जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी. हालांकि, नौ अप्रैल को उन्होंने चीन और हांगकांग को छोड़कर इस साल नौ जुलाई तक इन शुल्क पर 90 दिन की रोक लगा दी थी क्योंकि करीब 75 देशों ने व्यापार समझौतों के लिए अमेरिका से संपर्क किया था.

दो अप्रैल को देशों पर लगाया गया 10 प्रतिशत मूल शुल्क अभी लागू है. इसके अलावा इस्पात, एल्युमीनियम और मोटर वाहन घटकों पर 25 प्रतिशत शुल्क भी लगा है. उधर, अमेरिका के साथ चल रही ट्रेड वॉर के बीच कई चीनी कंपनियों ने भारतीय निर्यातकों से संपर्क किया है.फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फियो) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने बताया कि चीन के गुआंगझू में 5 मई तक चलने वाले कैंटन फेयर में भारत की कंपनियों से कई चीनी कंपनियों ने संपर्क किया. अमेरिका ने इन कंपनियों पर भारी टैक्स लगाया है, जिसकी वजह से ये कंपनियां चाहती हैं कि भारत की कंपनियां अमेरिकी ग्राहकों के लिए ऑर्डर पूरा करें ताकि उनके अमेरिकी ग्राहक बने रह सकें.

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