बीकानेर हाउस विवाद में राजस्थान सरकार को बड़ी राहत

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस कुर्की मामले में राजस्थान सरकार को राहत देते हुए 7 जनवरी 2025 तक कुर्की कार्रवाई पर रोक लगा दी। विवाद की जड़ नोखा नगर पालिका और एक निजी कंपनी के बीच 50 लाख रुपये का मामला है।

दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस कुर्की मामले में राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए कुर्की की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगली सुनवाई 7 जनवरी 2025 तक यह ऐतिहासिक और प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्ति राज्य सरकार के नियंत्रण में ही रहेगी।

सरकारी कार्यों पर नहीं पड़ेगा असर
पटियाला हाउस कोर्ट के इस फैसले के बाद बीकानेर हाउस के सरकारी उपयोग में कोई बाधा नहीं आएगी। यह भवन न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है बल्कि प्रशासनिक गतिविधियों के संचालन में भी अहम भूमिका निभाता है।

क्या है बीकानेर हाउस का पूरा विवाद
दरअसल दिल्ली में बीकानेर भवन का मालिकाना हक नोखा म्यूनिसिपल काउंसिल के पास है। चार साल पहले नोखा नगर पालिका और एक कंपनी इनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच 50 लाख रुपये के एक विवाद में कोर्ट ने भवन को 21 नवंबर को कुर्क करने के आदेश दिए थे। लेकिन नोखा नगर पालिका के वकील ने स्पष्ट किया कि बीकानेर हाउस उनकी संपत्ति नहीं है। यह राज्य सरकार की संपत्ति है। नगर पालिका ने यह भी कहा कि कंपनी को सात दिन के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा।

यह संपत्ति से कुर्की से मुक्त है
अदालत में कहा गया है कुर्की आदेश एकतरफा तरीके से पारित किया गया, जिसमें राज्य को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। बीकानेर हाउस एक सरकारी संपत्ति है, जिसका उपयोग सार्वजनिक और प्रशासनिक कार्यों के लिए किया जाता है। यह संपत्ति सीपीसी की धारा 60 के तहत कुर्की से मुक्त है। बीकानेर हाउस में राजस्थान के मुख्यमंत्री का कार्यालय, राजस्थान हाईकोर्ट रजिस्ट्री और अतिरिक्त महाधिवक्ता सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्यालय स्थित हैं।

इसके बाद कोर्ट ने कुर्की आदेश पर रोक लगाते हुए अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी 2025 की तारीख तय की है।

बीकानेर हाउस
इसका निर्माण बीकानेर रियासत के राजा महाराजा गंगा सिंह (1887 से 1943 ई) के शासनकाल के दौरान हुआ था, तथा यह शाही परिवार के दिल्ली निवास के रूप में कार्य करता था।

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