
थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा को शाही मानहानि मामले में बड़ी राहत मिली है। पूर्व पीएम शिनावात्रा ने कहा कि शुक्रवार को एक अदालत ने उन्हें मानहानि के मामले में बरी कर दिया। उनके वकील ने भी फैसले की पुष्टि की। हालांकि बैंकॉक आपराधिक न्यायालय ने कोई बयान जारी नहीं किया है।
पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा पर थाईलैंड की राजशाही को बदनाम करने के आरोप में औपचारिक रूप से केस दर्ज कराया गया था। जो देश की राजनीति को अस्थिर करने वाले कई अदालती मामलों में से एक है। थाकसिन पर मूल रूप से 2016 में लेसे मैजेस्टे कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि उन्होंने एक साल पहले दक्षिण कोरिया के सियोल में पत्रकारों से बात करते हुए टिप्पणी की थी। हालांकि थाकसिन ने आरोपों से इनकार किया था और खुद का बचाव करते हुए एक बयान जारी किया था।
थाईलैंड में ‘लेसे मैजेस्टे’ कानून के तहत हुआ था मुकदमा
थाईलैंड में राजतंत्र को बदनाम करने के लिए बनाए गए कानून के तहत किसी भी शख्स को तीन से 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इस कानून को ‘लेसे मैजेस्टे’ के नाम से जाना जाता है और ये दुनिया के इस तरह के सबसे कठोर कानूनों में से एक है। इसी कानून के उल्लंघन के आरोप में थाकसिन पर केस दर्ज कराया गया था।
18 साल पहले थाईलैंड की राजनीति से बेदखल किए पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन शिनावात्रा आज भी देश में एक प्रभावशाली राजनीतिक हस्ती है। दरअसल थकसिन शिनावात्रा को थाईलैंड का सबसे सफल चुना हुआ नेता माना जाता है। तख्तापलट के जरिए सत्ता से बाहर किए जाने के बाद उनपर प्रतिबंध भी लगाया गया था। वहीं थाकसिन ने पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया था।