
EC ने नौ जिलों के लिए बैलेट पेपर प्रकाशित कर उन्हें संबंधित जिलों में भेज दिया है. इन जिलों में तय समय पर पंचायत चुनाव कराए जाएंगे. उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं. राज्य निर्वाचन आयोग इस बार चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. इसी क्रम में आयोग इस सप्ताह प्रदेश की पंचायतों की मतदाता सूची ऑनलाइन जारी करने जा रहा है. यह पहली बार होगा जब पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराई जाएगी.
मंगलवार को इस संबंध में आयोग के अधिकारियों की एनआईसी (नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर) के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक हुई. बैठक में मतदाता सूची को ऑनलाइन अपलोड करने की प्रक्रिया पर अंतिम निर्णय लिया गया. आयोग के सचिव राहुल गोयल ने जानकारी दी कि आगामी दो से तीन दिनों के भीतर आयोग की वेबसाइट पर पंचायतों की मतदाता सूची देखी जा सकेगी. इससे ग्रामीण मतदाता अपने नाम की जांच ऑनलाइन कर सकेंगे और किसी त्रुटि की स्थिति में समय रहते सुधार की प्रक्रिया भी अपनाई जा सकेगी.राज्य निर्वाचन आयोग इस बार मतदाताओं को जागरूक करने के लिए कई नए प्रयास कर रहा है. पहली बार प्रत्येक पंचायत तक मतदाता सूची भिजवाकर लोगों को इसे जांचने का अवसर दिया गया. साथ ही, प्रदेशभर में विशेष अभियान चलाकर मतदाता सूची के संशोधन का कार्य भी संपन्न किया गया. आयोग का उद्देश्य है कि कोई भी पात्र मतदाता अपने अधिकार से वंचित न रहे.
इस बीच, आयोग ने नौ जिलों के लिए बैलेट पेपर प्रकाशित कर उन्हें संबंधित जिलों में भेज दिया है. इन जिलों में तय समय पर पंचायत चुनाव कराए जाएंगे. हरिद्वार जिले को इस सूची से फिलहाल बाहर रखा गया है, जहां चुनाव अभी नहीं होंगे. शेष तीन जिलों की प्रक्रिया भी चल रही है और जल्द ही वहां के लिए भी आवश्यक सामग्री भेजी जाएगी.
रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण लागू
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को लेकर भी है. वर्तमान में पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं है क्योंकि इसके लिए कानूनी संशोधन की आवश्यकता है. इस विषय पर पंचायती राज विभाग सक्रिय है और ओबीसी आरक्षण को लागू करने के लिए एक अध्यादेश लाने की तैयारी कर रहा है. इसका प्रस्ताव शासन स्तर पर तैयार हो रहा है और जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद अध्यादेश जारी किया जाएगा, जिसके तहत पंचायतों में एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण लागू किया जाएगा. राज्य निर्वाचन आयोग की इन तैयारियों से स्पष्ट है कि इस बार पंचायत चुनाव को अधिक व्यवस्थित, पारदर्शी और सहभागिता से परिपूर्ण बनाने का प्रयास किया जा रहा है. तकनीक का समुचित उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोकतंत्र की मजबूती सुनिश्चित की जा रही है. मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया को समयबद्ध और निष्पक्ष बनाना आयोग की प्राथमिकता है.