कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने कहा कि हरियाणा-पंजाब के किसानों, खेत मजदूरों, आढ़तियों, मंडी मजदूरों, राइस मिल मालिकों को भाजपा ‘किसान आंदोलन’ की सजा दे रही है। 3 खेती विरोधी काले कानूनों का आंदोलन कर खत्म करवाने व मोदी सरकार को झुकाने का बदला हरियाणा-पंजाब से लिया जा रहा है। इस षड्यंत्रकारी मिलीभगत में हरियाणा व पंजाब की सरकारें शामिल हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि गत वर्ष के मुकाबले 83 लाख टन धान खरीद में कटौती की गई है। 9 अक्तूबर, 2024 तक के हरियाणा-पंजाब से एम.एस.पी. खरीद के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। यह सारा डाटा भारत सरकार के सेंटर फूड ग्रेन परक्योरमेंट पोर्टल पर उपलब्ध है। इसी से षड्यंत्र साफ हो जाता है। गत वर्ष के मुकाबले आज तक पंजाब और हरियाणा से 82,88,450 मीट्रिक टन धान की खरीद कम हुई है। सुर्जेवाला ने कहा कि नायब सैनी व भाजपा ने यह कहकर वोट लिया कि 8 अक्तूबर के बाद धान 3100 रुपए प्रति क्विंटल के एम.एस.पी. पर खरीदा जाएगी, पर सच यह है कि 2100 रुपए प्रति क्विंटल भी नहीं मिल रहा।
3 लाख किसानों की फसल एम.एस.पी. पर खरीद ही नहीं हुई
सुर्जेवाला ने कहा कि हरियाणा में एस एस.पी खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या 4,19,532 है, 29 अक्तूबर तक एम एस पी पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या 1,33,114 है जिन किसानों की एम एस पी पर फसल खरीद नहीं हुई उनकी संख्या 2,86,418 है। उन्होंने कहा कि 3 लाख किसानों की फसल एम एस पी पर खरीद ही नहीं हुई। उन्होंने बताया कि हरियाणा में पिछले साल धान की खरीद 58,92,721 मीट्रिक टन हुई जबकि 29 अक्तूबर तक धान की खरीद 37,23,352 मीट्रिक टन हुई। यानी 29 अक्तूबर तक 21,69,369 मीट्रिक टन धान की खरीद कम हुई। उन्होंने बताया कि पंजाब में पिछले साल 1,11,03,434 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। पंजाब में 29 अक्तूबर तक 49,84,353 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई यानी 29 अक्तूबर तक 61,19,081 मीट्रिक टन धान की खरीद कम हुई। उन्होंने बताया कि साल 2023-24 पंजाब में एम. एस पी खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या 7,97,659 थी जबकि साल 2024-25 पंजाब में एम एस.पी. खरीद के लिए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या 3,21,85111 साल में ही एम एस पी. खरीद पर कम हुए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या 4,75,808 है।
गत 5 वर्ष में ‘सबसिडी’ में 3,30,000 करोड़ की कटौती
सुर्जेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 5 साल में ‘सबसिडी’, यानी ‘फर्टिलाइजर फूड-फ्यूल सबसिडी’ में 3,30,000 करोड़ की कटौती कर दी है। ‘फूड सबसिडी’ की मार तो और बड़ी है। केवल पिछले 2 साल में ही मोदी सरकार द्वारा ‘फूड सबसिडी’ में 78,000 करोड़ की कटौती कर दी गई। साल 2022-23 में बजट का फूड सबसिडी पर खर्च था 2,83,745 करोड़ रुपए, जो साल 2024-25 के बजट में कम करके 2,05,250 करोड़ रुपए कर दिया गया, अर्थात 78,495 करोड़ रुपए की कटौती हुई।
यह है 19 राज्यों का आंकड़ा
वर्ष 2023-24 19 प्रांतों में एम.एस.पी. पर धान रजिस्टर करने वाले किसानों की संख्या 1,11,03,434 थी। साल 2024-25 19 प्रांतों में एम.एस.पी. पर धान रजिस्टर करने वाले किसानों की संख्या 51,20,405 है। एक साल में ही एम.एस.पी. खरीद पर कम हुए रजिस्टर्ड किसानों की संख्या 59,83,029 है। साल 2023-24 19 प्रांतों में 7,19,89,675 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। साल 2024-25 29 अक्तूबर तक 19 प्रांतों में 92,46,463 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। 29 अक्तूबर तक एम.एस.पी. पर 6,27,43,212 मीट्रिक टन धान की खरीद कम हुई।
सुर्जेवाला ने बताया कि हरियाणा-पंजाब में लगभग 9,000 से अधिक राइस मिलर हैं। इनमें से अधिकतर पी. डी. एस. राइस मिलिंग का काम करते हैं। भाजपा सरकार व पंजाब-हरियाणा की सरकारों ने अलग-अलग हाईब्रिड किस्म का धान किसान को बिकवाया, विशेषतः पी.आर.-126 किस्म का धान पंजाब सरकार ने बिकवाया। भाजपा सरकार के नॉर्म्स के मुताबिक राइस मिलर को पी. डी. एस. का धान 1 क्विंटल पर 67 प्रतिशत सरकार को देना है। पर राइस मिलर एसोसिएशन के मुताबिक यह 62 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। मोदी सरकार ने धान के पूरे सीजन में इसका कोई हल नहीं निकाला व धान की बिक्री के बाद इसकी जांच बारे एक कमेटी बैठा दी। न रिपोर्ट आई, न गतिरोध समाप्त होगा, और नही किसान की फसल एम.एस.पी. पर खरीदी जाएगी।