दिल्ली: हाईकोर्ट को शरजील की जमानत पर जल्द फैसला लेने का ‘सुप्रीम’ निर्देश

इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि वह इस समय जमानत के लिए दबाव नहीं बना रहे हैं, लेकिन उनके मुवक्किल की जमानत याचिका 2022 से लंबित है। पीठ ने कहा कि वह अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम की रिहाई के लिए दायर रिट याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट को उसकी जमानत याचिका पर जल्द विचार करने का निर्देश दिया। अब हाईकोर्ट 25 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगा।

जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में जमानत की भी मांग की गई थी। इमाम के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की जमानत 2022 से लंबित है।

इमाम 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) मामले में आरोपी हैं। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि वह इस समय जमानत के लिए दबाव नहीं बना रहे हैं, लेकिन उनके मुवक्किल की जमानत याचिका 2022 से लंबित है। पीठ ने कहा कि वह अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की वाहन कबाड़ नीति के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से किया इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार की 2024 वाहन कबाड़ नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया। इस नीति के तहत 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को हटाने का प्रावधान है।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिकाकर्ता नागलक्ष्मी लक्ष्मी नारायणन से कहा कि वह उचित प्राधिकारी के समक्ष प्रतिवेदन दाखिल करें और उचित कानूनी रास्ता अपनाएं।

शीर्ष अदालत ने नारायणन के वकील से कहा, आप हस्तक्षेप आवेदन (आईए) में दिशानिर्देशों को कैसे चुनौती दे सकते हैं? आप एक अलग याचिका के माध्यम से दिशा-निर्देशों को मूल रूप से चुनौती दे सकते हैं। इस मुद्दे को इस अदालत ने खारिज कर दिया था और इन वाहनों के संबंध में हमने आदेश को बरकरार रखा था। हम आईए में एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के निर्देश को बाधित नहीं कर सकते। जब तक एनजीटी के आदेश को संशोधित नहीं किया जाता है, हम कुछ नहीं कर सकते।

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