दिल्ली : शेल्टर होम में लावारिस कुत्तों की 2-3 साल बढ़ जाएगी उम्र

राजधानी में लावारिस कुत्तों के लिए बनाए जाने वाले शेल्टर होम न सिर्फ उन्हें सुरक्षित ठिकाना देंगे, बल्कि उनकी औसत आयु भी बढ़ा देंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क पर भटकते रहने के बजाय यदि कुत्ते सुरक्षित और स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस शेल्टर में रहें, तो उनकी जिंदगी दो से तीन साल लंबी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां न तो उन्हें सड़क हादसों का खतरा रहेगा और न ही संक्रमित बीमारियों की चपेट में आने की संभावना रहेगी।

एमसीडी के अनुसार, शेल्टर होम्स में कुत्तों की देखरेख के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। यहां उन्हें नियमित भोजन, साफ-सुथरा वातावरण और समय-समय पर चिकित्सा जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। एमसीडी के अधिकारियों का कहना है कि हर शेल्टर होम्स में पशु चिकित्सक और सहायक स्टाफ तैनात रहेंगे, ताकि किसी भी स्वास्थ्य समस्या का तुरंत इलाज हो सके। साथ ही, बीमार या घायल कुत्तों को प्राथमिक उपचार के बाद लंबे समय तक निगरानी में रखा जाएगा।

एमसीडी के पशु विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. वीके सिंह ने बताया, फिलहाल राजधानी में लावारिस कुत्तों की औसत आयु पांच से छह साल ही होती है। इसकी सबसे बड़ी वजह सड़क दुर्घटनाएं और संक्रमणजनित बीमारियां हैं। सड़क पर भटकते हुए कुत्ते आए दिन वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। इसके अलावा, कचरे में खाना खोजने के दौरान वे कई तरह के वायरस, बैक्टीरिया और परजीवियों के संपर्क में आते हैं, जो गंभीर बीमारियां पैदा करते हैं।

डॉ. सिंह के अनुसार, आम तौर पर स्वस्थ पालतू कुत्ते की उम्र आठ से नौ साल मानी जाती है, लेकिन दिल्ली की मौजूदा परिस्थितियों में खुले में रहने वाले कुत्तों की जिंदगी इतनी लंबी नहीं हो पाती। अगर इन्हें शेल्टर होम जैसे सुरक्षित वातावरण में रखा जाए, जहां न तो ट्रैफिक का खतरा होगा और न ही गंदगी या प्रदूषण का असर पड़ेगा। ऐसे में वह अधिक समय तक जीवित रहेंगे।

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