विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सबसे ज्यादा वह पक्षी प्रभावित हो रहे हैं, जो यमुना के पानी पर निर्भर हैं। हांलाकि, बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी प्रवास के लिए यहां आते हैं। ऐसे में इस बार यमुना का प्रदूषित पानी इन पक्षियों के लिए खतरा साबित हो सकता है।
यमुना के प्रदूषित पानी से बेजुबान पक्षियों की जान पर बन आई है। नदी के आसपास रहने वाले पक्षी यहां का पानी पीने से गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जहरीले पानी से उनकी किडनी फेल होने, लिवर में दिक्कत, अंधेपन की समस्या हो रही है। यहां तक की कई पक्षियों को लकवा मार गया है। इनमें से कई पक्षी उन्मुक्त गगन में उड़ान नहीं भर सकते हैं। चांदनी चौक स्थित पक्षियों के धर्मार्थ चिकित्सालय में रोजाना पांच से छह बीमार परिंदे लाए जा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सबसे ज्यादा वह पक्षी प्रभावित हो रहे हैं, जो यमुना के पानी पर निर्भर हैं। हांलाकि, बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी प्रवास के लिए यहां आते हैं। ऐसे में इस बार यमुना का प्रदूषित पानी इन पक्षियों के लिए खतरा साबित हो सकता है। बीते 15 दिन में करीब 70 से अधिक बीमार परिंदे लाए गए हैं।
चील व कबूतरों की संख्या सबसे अधिक
चिकित्सालय में लाए जा रहे बीमार पक्षियों में सबसे अधिक कबूतर और चील है। चिकित्सकों का कहना है कि बीते तीन दिन में 15 कबूतर, सात चील, पांच कौवा और तीन तोते लाए गए हैं। यही नहीं, दो मोर भी हैं। मोरों की हालात बेहद नाजुक है। यह मोर अब कभी उड़ नहीं पाएंगे। इन्हें लकवा मार गया है। यमुना खादर से आए हेमंत श्रीवास्तव ने बताया कि वह इलाज के लिए दो बीमार कबूतर लेकर आएं। उन्होंने कहा कि यह लगातार दूसरा दिन है जब उन्हें घर के पास कबूतर पड़ा मिला है।
विदेशी मेहमानों पर भी संकट के आसार
यमुना किनारे मीलों सफर तय कर यहां विदेशी पक्षी धीरे-धीरे पहुंचने लगे हैं। ऐसे में प्रदूषित पानी से इनकी संख्या में असर पड़ सकता है। नदी का पानी इस समय बदबू और गंदगी के साथ ही झाग से भरा है। इसका प्रभाव बेजुबान परिंदों पर पड़ रहा है। चिकित्सकों ने बताया कि अक्सर कई पक्षी गंदे पानी को नहीं पीते हैं। लेकिन, अगर पानी का स्रोत ही नहीं होगा तो वह भी इससे बीमार हो सकते हैं। हालांकि, अभी इस तरह किसी भी विदेशी परिंदे को यहां नहीं लाया है।
गंदे पानी पीने की वजह से परिंदे बीमार हो रहे हैं। यमुना के जल में जहरीले रसायनों संख्या बढ़ गई है। इसका सीधा असर बेजुबानों की किडनी, लिवर पर सबसे अधिक पड़ रहा है। हमें मिलकर इन्हें बचाना होगा। -डॉ. हरअवतार सिंह, पक्षियों का धर्मार्थ चिकित्सालय, चांदनी चौक