
हर साल मानसून में दिल्ली में जलभराव बड़ी चुनौती बनता है। बंद पड़े नाले, समय पर सफाई न होना और निकासी व्यवस्था की कमजोरियों के चलते कई इलाकों में सड़कें लबालब भर जाती हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और आमजन को बड़ी परेशानी होती है। हालांकि, इस बार एमसीडी ने इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की है।
डिफेंस कॉलोनी क्षेत्र का नाले की सफाई नहीं हो सकी है और इसमें गंदा पानी भी गिर रहा है। यहां लगा फिल्टरेशन प्लांट तक चालू नहीं हुआ है। ऐसी कई खामियां हैं, जिनका खुलासा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की ओर से नियुक्त कोर्ट कमिश्नर वकील राहुल खुराना ने 15 अप्रैल को सौंपी रिपोर्ट में किया है। डिफेंस कॉलोनी स्थित नाले तक पहुंचने के लिए बगल की सड़क से रैंप के माध्यम से केवल तीन प्रवेश बिंदु हैं। इनमें से एक टिन शीट से ढका मिला। दूसरा तारपोलिन से ढका था। तीसरे में 11 अप्रैल को एक जेसीबी नाले की सफाई करती मिली। यहां नाला का बहाव ठहरा था।
दरअसल, एनजीटी यमुना नदी में गिरने वाले 24 नालों की सफाई के मामले में सुनवाई कर रही है। ऐसे में जमीनी हकीकत जानने और डिफेंस कॉलोनी क्षेत्र में नाले की सफाई के लिए 9 अप्रैल को पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। उन्हें निर्देश दिए थे कि वह साइट का दौरा करेंगे। गाद हटाने के काम की सीमा का पता लगाएंगे। साथ ही, साक्ष्य के साथ पांच दिन में रिपोर्ट देंगे। निरीक्षण के दौरान एमसीडी अधिकारी और आरडब्ल्यूए डिफेंस कॉलोनी के पदाधिकारी भी शामिल रहें।
रिपोर्ट में इन कमियों का भी जिक्र
कवर किए गए कंक्रीट क्षेत्र में कई चौकोर आकार के मैनहोल थे, जो नीचे बहने वाले नाले तक पहुंच प्रदान करते थे। इनमें से अधिकतर में दरारें और टूटे हुए ढक्कन थे।
इन टूटे हुए मैनहोल से हल्की दुर्गंध आ रही थी। कुछ स्थानों पर खुदाई के पाइप टूटे हुए और जमीन पर गिरे हुए मिले।
फिल्ट्रेशन प्लांट के नीचे नाली में ठोस कचरा मिला है। बारिश के पानी का संचय करने के लिए बनाया गया गड्ढा कंक्रीट स्लैब से ढका है। रिंग रोड पुलिया के नीचे नाले के दोनों ओर एक बिंदु मलबे से भरा मिला। कंक्रीट कवर के शुरुआती बिंदु के ठीक नीचे, प्लास्टिक कचरा भारी मात्रा में मिला।
कोर्ट कमिश्नर ने दिए सुझाव
गाद को तुरंत क्षेत्र से हटाया जाए, इसे जमा नहीं होने देना चाहिए। इसे सुरक्षित तरीके से निपटाया जाए। नाला जहां दिखाई देता है, वहां कचरा भरा हुआ है। कई छिद्रों और दरारों में दुर्गंध और बदबू आ रही थी। ऐसे में नाला की सफाई हो और प्रवेश द्वार पर गाद हटाई जाए। अन्य दोनों रैंप पर गाद हटाने का एक साथ काम किया जाना चाहिए।
800 नालों की सफाई पर खर्च होंगे 36 करोड़
हर साल मानसून में दिल्ली में जलभराव बड़ी चुनौती बनता है। बंद पड़े नाले, समय पर सफाई न होना और निकासी व्यवस्था की कमजोरियों के चलते कई इलाकों में सड़कें लबालब भर जाती हैं, जिससे यातायात बाधित होता है और आमजन को बड़ी परेशानी होती है।
हालांकि इस बार एमसीडी ने इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की है। इसके तहत मानसून से पहले 800 बड़े नालों की सफाई का लक्ष्य तय किया गया है। यह वे नाले हैं जिनकी चौड़ाई और गहराई चार फीट से अधिक है। इनकी सफाई पर करीब 36 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। एमसीडी के अनुसार, इन नालों से 213651 मीट्रिक टन गाद हटाने का लक्ष्य रखा गया है। सफाई के लिए 12 जोन के अनुसार नालों की सूची और अनुमानित लागत का विवरण तैयार किया गया है।
सबसे अधिक ध्यान सेंट्रल जोन पर है, जहां 65 नालों की सफाई होगी। इनकी कुल लंबाई 50.70 किलोमीटर है और यहां से 64519.35 मीट्रिक टन गाद हटाने की योजना है। इस जोन पर सबसे अधिक 932.82 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके बाद पश्चिम जोन आता है, जहां सबसे अधिक 133 नालों की सफाई होगी। यहां से 20251.47 मीट्रिक टन गाद हटाने पर 635.84 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।
नजफगढ़ जोन में 107.58 किलोमीटर लंबे नालों की सफाई की जाएगी, जिनसे 35461.64 मीट्रिक टन गाद हटाने की योजना है। शाहदरा के उत्तर और दक्षिण जोन को मिलाकर कुल 223 नालों की सफाई होगी, जो गिनती के लिहाज से सबसे बड़ा हिस्सा है। यहां से 62236.32 मीट्रिक टन गाद निकाली जाएगी। दक्षिण जोन में 71 नालों की सफाई से 16736.6 मीट्रिक टन गाद हटाई जाएगी। वहीं, अपेक्षाकृत छोटे जोन सिविल लाइंस, केशवपुरम, रोहिणी और नरेला में 146 नालों की सफाई की जाएगी।
जलभराव के 445 हाॅटस्पॉट नालों की सफाई पर रहेगा जोर
राजधानी में एजेंसियों ने हाल ही में 445 जलभराव वाले हॉटस्पॉट की पहचान की है। ये हॉटस्पॉट हर साल मानसून में शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बनते हैं। इनमें दक्षिणी, पूर्वी व उत्तर-पश्चिमी दिल्ली जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन हॉटस्पाॅट को खत्म करने के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है।
बुधवार को जारी विभाग के कार्यालय आदेश में सभी कार्यकारी, सहायक व कनिष्ठ अभियंताओं को नालों की सफाई और संबंधित कार्यों की प्राथमिक जांच करने का निर्देश दिया गया है। इसके अनुसार सभी को नालों की सफाई और जल निकासी से जुड़े कार्यों की गुणवत्ता व प्रगति की जांच करनी होगी। यह कदम दिल्ली में हॉटस्पॉट की समस्या को कम करने की दिशा में उठाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि शहर में 445 ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां बारिश के दौरान जलभराव की समस्या गंभीर रूप से सामने आती है। इनमें मजनू का टीला, प्रगति मैदान, सराय काले खां, ओखला, ग्रेटर कैलाश और शाहदरा जैसे इलाके शामिल हैं।
बीते साल 300 जगहों पर भरा था पानी
पिछले साल 300 स्थानों पर पानी भरा था। दिल्ली पुलिस की ओर से समय-समय पर जलभराव वाले स्थानों के बारे में जानकारी दी जाती है, जहां भारी बारिश के बाद पानी जमा रहता था, जिससे जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। इनमें से अधिकांश स्थान पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर होते हैं।
जलभराव रोकने पर सरकार सख्त : पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि मानसून से पहले नालों की गाद निकासी का काम समय पर पूरा किया जाए। इसके लिए कई डिवीजन में गाद निकासी का काम शुरू हो चुका है और पहला चरण मई तक पूरा होने की उम्मीद है। पीडब्ल्यूडी ने अंडरपास और सबवे में जलभराव रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसके तहत पंप हाउस में अलार्म और टाइमर लगाए जा रहे हैं।
विभाग के पास 128 स्थायी पंप हाउस और 538 स्थायी पंप : विभाग के पास 128 स्थायी पंप हाउस और 538 स्थायी पंप हैं, जिनमें से 439 अच्छी कार्यशील स्थिति में हैं। इसके अलावा दिल्ली सरकार 25 सुपर सकर मशीनें खरीदने की योजना बना रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पीडब्ल्यूडी, एमसीडी और सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग (आईएंडएफसी) को संयुक्त कार्ययोजना के साथ 15 दिनों के भीतर इन 445 हॉटस्पॉट्स का समाधान करने के निर्देश दिए हैं।