
देश में कहीं भी पंजीकृत ओवरएज वाहनों को एक जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं मिलेगा। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन को एक जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाएगा, भले ही ये वाहन किसी भी राज्य में पंजीकृत हों।
सीएक्यूएम ने अप्रैल में ईंधन स्टेशनों को निर्देश जारी करते हुए कहा था कि एक जुलाई से किसी भी ईओएल (एंड-ऑफ-लाइफ) वाहन को ईंधन नहीं दिया जाना चाहिए। दिल्ली के 520 ईंधन स्टेशनों में से 500 ने स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे लगा दिए हैं और शेष में 30 जून तक लगा दिया जाएगा।
ये कैमरे 10 वर्ष (डीजल) या 15 वर्ष (पेट्रोल) से अधिक पुराने वाहनों का पता लगाएंगे और कमांड सेंटर तथा यातायात एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों से युक्त प्रवर्तन टीमों को अलर्ट भेजेंगे, जो वाहनों को जब्त करेंगे।
अधिकारी ने बताया कि वाहन डाटाबेस से जुड़े एएनपीआर कैमरे पुराने वाहनों या वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र के बिना वाहनों की पहचान करेंगे।
100 प्रवर्तन दल बनाए ः शर्मा ने कहा कि यातायात और परिवहन विभागों के अधिकारियों को शामिल करते हुए 100 प्रवर्तन दल गठित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि निर्देशों का उल्लंघन करने वाले ईंधन स्टेशनों के खिलाफ कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कुछ लोग वाहनों को दिल्ली के बाहर पंजीकृत करा रहे, इसे रोकना होगा : सीएक्यूएम के सदस्य (तकनीकी) वीरेंद्र ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के बाहर पंजीकृत वाहन भी दिल्ली की सड़कों पर चलते हैं और प्रदूषण में योगदान देते हैं। अगर दिल्ली के लोग वाहनों को बाहर पंजीकृत करते हैं तो इसे रोकना होगा।
एनसीआर के पांच जिलों में एक नवंबर से होगा लागू
यह प्रणाली इस वर्ष एक नवंबर से दिल्ली से सटे गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत में लागू की जाएगी तथा एएनपीआर में कैमरे लगाने का कार्य 31 अक्तूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। शेष एनसीआर जिलों को कैमरे लगाने के लिए 31 मार्च, 2026 तक का समय दिया गया है तथा ईओएल वाहनों को ईंधन देने से मनाही एक अप्रैल, 2026 से शुरू होगी।