तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने राज्य में केंद्र की पीएम विश्वकर्मा योजना को राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया है। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि वे योजना को इसके मौजूदा स्वरूप में लागू नहीं कर सकते हैं क्योंकि पीएम विश्वकर्मा योजना अपने मौजूदा स्वरूप में जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देती है। मामले को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने जीतन राम मांझी को पत्र भी लिखा।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को पत्र लिखकर सूचित किया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को राज्य में वर्तमान स्वरूप में लागू नहीं किया जाएगा तथा इसमें संशोधन का आग्रह किया।
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री को लिखे पत्र में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा कि राज्य ने कारीगरों के लिए सामाजिक न्याय पर आधारित एक अधिक समावेशी और व्यापक योजना तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसमें जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देती है पीएम विश्वकर्मा योजना
स्टालिन ने पत्र में कहा, भारत के प्रधानमंत्री को 4 जनवरी, 2024 को पत्र लिखकर तमिलनाडु सरकार की राय व्यक्त की गई है और भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में संशोधन का अनुरोध किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगे बढ़ते हुए, तमिलनाडु ने इस योजना का अध्ययन करने के लिए एक समिति का भी गठन किया, क्योंकि ऐसी चिंता थी कि यह पहल ‘जाति-आधारित व्यवसाय’ (caste-based vocation) की प्रणाली को मजबूत करती है।
उन्होंने कहा, इसलिए, तमिलनाडु सरकार वर्तमान स्वरूप में पीएम विश्वकर्मा योजना के कार्यान्वयन को आगे नहीं बढ़ाएगी। हालांकि, सामाजिक न्याय के समग्र सिद्धांत के तहत तमिलनाडु में कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए, तमिलनाडु सरकार ने कारीगरों के लिए एक अधिक समावेशी और व्यापक योजना विकसित करने का निर्णय लिया है, जो जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती है।
सीएम स्टालिन ने कहा कि यह योजना राज्य के सभी कारीगरों को समग्र सहायता प्रदान करेगी, चाहे उनकी जाति या पारिवारिक व्यवसाय कुछ भी हो।
उन्होंने कहा, इस तरह की योजना उन्हें वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और उनके विकास के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगी, और अधिक व्यापक और समावेशी होगी।
तमिलनाडु सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने आवेदक के परिवार के पारंपरिक रूप से परिवार आधारित पारंपरिक व्यापार में लगे होने की अनिवार्य आवश्यकता को हटाने की सिफारिश की थी।
उन्होंने कहा, न्यूनतम आयु मानदंड 35 वर्ष रखा गया है, ताकि केवल वे लोग ही इस योजना के अंतर्गत लाभ उठा सकें, जिन्होंने अपने पारिवारिक व्यापार को जारी रखने का सोच-समझकर निर्णय लिया है।
सीएम स्टालिन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लाभार्थियों के सत्यापन का दायित्व ग्राम पंचायत के मुखिया के बजाय राजस्व विभाग के ग्राम प्रशासनिक अधिकारी (वीएओ) के पास है।
क्या है पीएम विश्वकर्मा योजना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर, 2023 को विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया था। यह योजना प्रधानमंत्री विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता, कौशल सत्यापन के माध्यम से कौशल उन्नयन, बुनियादी कौशल, उन्नत कौशल प्रशिक्षण, उद्यमशीलता ज्ञान, 15,000 रुपये तक टूलकिट प्रोत्साहन, 3,00,000 रुपये तक की ऋण सहायता और डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन सुनिश्चित करती है।