संथाल परगना की नौ सीटें ऐसी हैं, जहां महामुकाबला देखने को मिल सकता है। इन सीटों पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके तीन मंत्रियों के अलावा विधानसभा के स्पीकर के साथ मुकाबला है।
कहा जाता है कि झारखंड की सत्ता की चाबी संथाल परगना से होकर गुजरती है, इसलिए सभी दल यहां अधिक से अधिक सीटें जीतने की रणनीति के साथ मैदान में हैं। संथाल परगना में विधानसभा की 18 सीटें हैं। इनमें से सात सीटें एसटी के लिए और एक सीट एससी के लिए आरक्षित हैं। यहां सत्ताधारी दल झामुमो, कांग्रेस और गठबंधन दलों की सीधी टक्कर भाजपा से है।
संथाल परगना की नौ सीटें ऐसी हैं, जहां महामुकाबला देखने को मिल सकता है। इन सीटों पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके तीन मंत्रियों के अलावा विधानसभा के स्पीकर के साथ मुकाबला है। इसके अलावा इंडिया गठबंधन फोल्डर से पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख, पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निशात आलम, पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, भाजपा के कार्यकाल में पूर्व मंत्री रहीं डॉ. लुईस मरांडी (अब झामुमो में), प्रदीप यादव, नलिन सोरेन की जगह उनके बेटे आलोक सोरेन, पूर्व मंत्री स्टीफन मरांडी चुनाव मैदान में हैं। वहीं, एनडीए गठबंधन से मुख्यमंत्री को टक्कर देने के लिए बरहेट में जमीन से जुड़े भाजपा नेता गमालियल सोरेन कमर कसकर उतरे हैं।
जामताड़ा में मंत्री इरफान (कांग्रेस) को टक्कर देंगी सीता सोरेन (भाजपा), वहीं महागामा में मंत्री दीपिका पांडेय सिंह को पूर्व विधायक अशोक भगत, पाकुड़ में निशात आलम को अजहर इस्लाम (आजसू) और मधुपुर से मंत्री हफीजुल के खिलाफ भाजपा के गंगा नारायण सिंह कड़ी टक्कर देने को तैयार हैं। जामा में झामुमो की लुईस मरांडी के खिलाफ भाजपा ने सुरेश मुर्मू, तो दुमका में बसंत सोरेन को टक्कर देने के लिए भाजपा के पूर्व सांसद सुनील सोरेन पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं। वहीं देवघर में पूर्व मंत्री सुरेश पासवान को दो बार के सीटिंग भाजपा विधायक नारायण दास के साथ मुकाबला है।
इन सीटों पर महामुकाबला
बरहेट विधानसभा (एसटी): यह सीट शुरू से ही झामुमो के खाते में रही है। पिछले चुनाव में हेमंत सोरेन ने भाजपा के सिमोन मालतो को हराया था। सिमोन भाजपा छोड़ चुके हैं, इसलिए भगवा दल को भितरघात का खतरा है। इस बार हेमंत की सीधी टक्कर भाजपा के मालियल हेम्ब्रेज से होगी।
मधुपुर विधानसभा: यहां से मंत्री हफीजुल हसन मैदान में हैं। भाजपा ने फिर गंगा नारायण सिंह पर दांव खेला है। पिछले चुनाव में हफीजुल 23 हजार वोटों से जीते थे। बसपा के जियाउल हक उर्फ टार्जन मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। यहां झामुमो को सत्ताविरोधी हवा का सामना करना पड़ सकता है, तो भाजपा भितरघात से जूझ रही है।
जामताड़ा : कांग्रेस के टिकट पर मंत्री डॉ. इरफान मैदान में हैं, तो भाजपा ने सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन को उतारा है। 2019 में इरफान 38 हजार से अधिक वोटों से जीते थे। 2005 में यहां विष्णु प्रसाद भैया ने कमल खिलाया था, इसके बाद भाजपा जीत नहीं सकी। सोरेन परिवार की बहू होने के नाते भाजपा को सीता से काफी उम्मीदें हैं। उन्हें एसटी वोटों का लाभ हो सकता है।
महागामा : मंत्री दीपिका पांडेय सिंह कांग्रेस के टिकट पर फिर मैदान में हैं। पिछले चुनाव में वह 12,499 वोटों से जीती थीं। भाजपा ने 2014 और 2019 के चुनाव में हारे अशोक कुमार भगत को उतारा है। अशोक कुमार 2014 में यहां से जीतकर विधायक बन चुके हैं।
जरमुंडी : लगातार दो बार से कांग्रेस के बादल पत्रलेख विधायक हैं। इस बार हैट्रिक की आस में हैं। वे हेमंत सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। भाजपा ने देवेंद्र कुंवर को उतारा है। पूर्व मंत्री के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर बड़ा फैक्टर हो सकता है, वहीं, देवेंद्र को पूर्व विधायक हरिनारायण का साथ मिलने से मुकाबला रोचक रहेगा।
दुमका : झामुमो ने बसंत सोरेन को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने दुमका के सांसद और जामा से विधायक रहे सुनील सोरेन मैदान में हैं। दुमका में घमासान के आसार हैं, हालांकि पिछले तीन चुनावों में 2009 और 2019 में झामुमो जीता। 2019 में हेमंत सोरेन 13,188 वोटों से जीते। उपचुनाव में झामुमो के बसंत सोरेन ने भाजपा की लुईस मरांडी को हराया।
बोरियो : इस सीट से 2024 में झामुमो छोड़ भाजपा में आये लोबिन हेंब्रम मैदान में हैं। वहीं, झामुमो ने स्थानीय नेता धनंजय सोरेन को उतारा है। लोबिन काफी कद्दावर नेता माने जाते हैं। उनकी आदिवासियों के बीच अच्छी छवि है।
जामा : जामा सोरेन परिवार की सीट रही है। शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के बाद उनकी पत्नी सीता सोरेन यहां से जीतती रही हैं। इस बार झामुमो ने लुईस मरांडी को उतारा है। उन्हें भाजपा के सुरेश मुर्मू कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
पाकुड़ : यह सीट कांग्रेस के खाते में है। अल्पसंख्यक बहुल सीट से विधायक आलमगीर आलम पूर्व मंत्री रहे हैं। यहां से लगातार दो बार के विधायक आलमगीर अभी जेल में हैं। उनकी जगह पत्नी निशात आलम मैदान में हैं। उन्हें एनडीए के आजसू प्रत्याशी अजहर इस्लाम टक्कर दे रहे हैं।