
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम के जरिए एक धर्म के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को एक सकारात्मक कदम बताया, जिसमें उसने पूरे कानून पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी।
पत्रकारों से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा हम लगातार कह रहे हैं कि इस बिल के जरिए एक धर्म के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। यह अच्छी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे समझा है। अगर इस अधिनियम के अन्य आपत्तिजनक हिस्सों पर भी ध्यान दिया जाए तो यह और बेहतर होगा।इससे पहले दिन में, उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर पूरी तरह से रोक लगाने से इन्कार कर दिया, लेकिन इसकी सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला आने तक इसके कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि संशोधित अधिनियम के कुछ हिस्सों को सुरक्षा की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने आप विधायक मेहराज मलिक के खिलाफ दर्ज लोक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) मामले को वापस लेने और उन्हें जल्द से जल्द रिहा करने की भी मांग की। उन्होंने कहा उनके खिलाफ पीएसए मामला वापस लिया जाना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाना चाहिए।