
राष्ट्रव्यापी जनगणना पर जारी अधिसूचना में जातिवार जनगणना का उल्लेख नहीं होने के मुद्दे पर सियासत गरमाती जा रही है। इस पर पहले ही सवाल उठा चुकी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि न अधिसूचना में जातिवार गणना की कोई चर्चा है और न ही इसके लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान किया गया है।
पार्टी मे आशंका जताई कि जाति गणना का हाल भी महिला आरक्षण विधेयक जैसा न हो जाए तो संसद से पारित तो हो चुका है लेकिन अभी लागू नहीं हुआ है। जातिवार जनगणना के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने अपने एक युवा ओबीसी चेहरे वरिष्ठ नेता सचिन पायलट को मंगलवार को मैदान में उतारा।
जनगणना में देरी पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
पार्टी के नए मुख्यालय इंदिरा भवन में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने कहा कि जातिवार गणना पर सरकार की मंशा इसलिए भी संदेहास्पद है कि जनगणना के लिए 10,000 करोड़ रुपए की जरूरत है जबकि आवंटन इस वर्ष केवल 574 करोड़ रुपए किए गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर 2020 में जनगणना की तैयारी अपने अंतिम चरण में थी तथा 2021 और उसके बाद चुनाव या सर्वेक्षण करने में सरकार को कोई परेशानी नहीं थी तो अब जनगणना करने में पूरे छह साल की देरी क्यों हुई है।
तेलंगाना मॉडल अपनाए जाने की कांग्रेस ने की मांग
साथ ही यह सवाल भी उठाया कि क्या 2027 की जनगणना भाजपा शासित राज्यों को लाभ पहुंचाने वाले नए परिसीमन को ध्यान में रखते हुए की जा रही है? सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी जातिवार जनगणना की लड़ाई शुरू से लड़ते आ रहे हैं और भाजपा ने इसका भरपूर विरोध करते हुए हमें ”शहरी नक्सली” तक करार दिया।
लेकिन देश के मूड को भांपते हुए दबाव में सरकार ने जातिवार गणना कराने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर पर अधिसूचना में इसका जिक्र नहीं होने से भ्रम तथा असंतोष है। इसलिए सरकार से आग्रह है कि जातिवार गणना पर तस्वीर पारदर्शी तरीके से साफ करे और तेलंगाना मॉडल को अपनाया जाए क्योंकि इसकी प्रश्नावली समाज के विभिन्न वर्गों के व्यापक परामर्श और भागीदारी के बाद तैयार की गई थी।
पायलट ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि सरकार केवल सियासी विमर्श को मैनेज करने की कोशिश में है और महिला आरक्षण विधेयक जैसे भाजपा के ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर वे जातिवार जनगणना को चुपचाप स्थगित कर दें।