खांसी-बुखार को भी माना जाएगा संक्रमण

किसी इलाके में महामारी के संक्रमण के लिए अब पुष्टि का इंतजार नहीं किया जाएगा। किसी इलाके में बुखार, खांसी, उल्टी-दस्त जैसे सामान्य लक्षण भी यदि अचानक बढ़ते हैं, तो केंद्रीय निगरानी सिस्टम इसे संभावित संक्रमण क्लस्टर मानते हुए राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य-अलर्ट जारी करेगा। नई व्यवस्था सिंड्रोमिक सर्विलांस कहलाती है जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने केंद्र के दिशा-निर्देश पर तैयार कर राज्यों से साझा किया है।

आईसीएमआर की ओर से जारी 20 पन्नों के तकनीकी मसौदे में दावा किया है कि संक्रमण फैलने से पहले ही उसके शुरुआती संकेत पहचान लिए जाएंगे, जिससे बड़ी महामारी को फैलने को रोका जा सकेगा। अभी तक संक्रमण फैलने की जानकारी प्रयोगशाला जांच पर निर्भर रहती है। इसमें कई दिन लग जाते हैं और तब तक बीमारी का दायरा बढ़ने लगता है। लेकिन अब चिकित्सक लक्षणों की पहचान करने के बाद इसका डाटा तुरंत केंद्रीय निगरानी सिस्टम तक भेजेंगे।

इस डाटा का विश्लेषण करने के लिए अलग से एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता युक्त एल्गोरिदम बनाया है जो डाटा पैटर्न को स्कैन करेगा और असामान्य ट्रेंड मिलने पर संबंधित जिला एवं राज्य दोनों को अलर्ट किया जाएगा। आईसीएमआर के मुताबिक, कोरोना जैसी आपदाओं ने सिखाया है कि डाटा ही सबसे बड़ा हथियार है जो बीमारी की अदृश्य शुरुआत को पकड़ सकता है।

क्या है सिंड्रोमिक सर्विलांस

यह प्रणाली लक्षणों को संकेत मानकर बीमारी का अनुमान लगाती है। उदाहरण के लिए अगर किसी शहर, कस्बे या फिर गांव में अचानक बुखार के मामले बढ़ते हैं तो उसे इन्फ्लुएंजा या फिर डेंगू जैसे संक्रमण के संकेत मान सकते हैं। इसी तरह दस्त या फिर उल्टी के मामलों में वायरल डायरिया और तेज सिरदर्द के साथ न्यूरोलॉजिकल लक्षण मिलने पर इंसेफेलाइटिस के संकेत हो सकते हैं।

गांवों से दिल्ली तक रियल टाइम निगरानी

केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सिंड्रोमिक सर्विलांस को इस तरह बनाया गया है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उपकेंद्र, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज सभी चिकित्सा संस्थान इसका हिस्सा बने हैं। किसी गांव में भी अगर अचानक बुखार के केस बढ़ते हैं तो अलर्ट सीधे राज्य और केंद्र तक पहुंचेगा।

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