क्या है IACCS जिसने पाकिस्तान के हर मिसाइल और ड्रोन को हवा में किया बर्बाद, ये हैं इसके पीछे के बहादुर लोग

भारतीय वायुसेना का IACCS सिस्टम क्या है जिसने पाकिस्तान के हर मिसाइल और ड्रोन को मार गिराया। साथ ही इसके पीछे किन हीरोज का हाथ है, ये हर कोई जानना चाहता था। अब हम इसके पीछे के हीरोज के नाम तो नहीं बता सकते, क्योंकि सवाल गोपनीयता का है। लेकिन चलिए इस सिस्टम की खासियत हम बताते हैं।
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सेना ने ड्रोन और मिसाइल से हमला किया। इस हमले में करीब 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। अब भारत ने तो आतंकी ठिकानों पर हमला किया, लेकिन दुर्भाग्य ऐसा कि पाकिस्तान इस युद्ध में कूद पड़ा। इसके बाद पाकिस्तान ने करीब 100 से अधिक मिसाइल हमले किए और ड्रोन से हमले किए। हालांकि भारतीय डिफेंस सिस्टम ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया। दरअसल भारत की तीनों सेनाओं ने मिलकर इन हमलों को नाकाम किया और एयर डिफेंस सिस्टम का ऐसा चाल बुना कि पाकिस्तान की एक भी मिसाइल भारत की धरती को छू भी नहीं सकी। ऐसे में चलिए आपको बताते हैं कि एयर मार्शल एके भारती ने जिस इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) का जिक्र किया था, वह क्या है और कितना कारगर है।

क्या है IACCS?

IACCS यानी एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली भारतीय वायुसेना की एक स्वचालित कमांड और नियंत्रण केंद्र है, जिसे हवाई संचालन का प्रबंधन और निगरानी करने के लिए तैयार किया गया है। यह भारतीय वायुसेना का IACCS प्रणाली नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर क्षमताओं में भारतीय वायुसेना के नेटवर्क को सक्षम बनाता है। यह सिस्टम सभी हवाई और जमीनी सेंसर, हथियार प्रणालियों, कमांड और नियंत्रण नोड्स को एकीकृत करता है ताकि एक एकीकृत हवाई स्थिती की जानकारी प्रदान की जा सके। आसान भाषा में कहें तो यह एक ऐसा सिस्टम है जो पूरे देश में युद्ध के दौरान होने वाली हवाई गतिविधियों की जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध कराता है, जिसके बाद भारत की तीनों सेनाएं और भारतीय एयर डिफेंस इसके आधार पर आगे की कार्रवाई करता है। 

IACCS को बनाने का उद्देश्य और यह कैसे करता है काम?

IACCS को बनाने के पीछे का उद्देश्य है भारतीय वायुसेना को और भी ज्यादा मजबूती प्रदान करना। इसके जरिए भारतीय वायु सेना खासतौर पर नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर के दौरान हवाई ऑपरेशन्स की निगरानी करती है। यह सिस्टम उपग्रहों, विमानों और जमीनी स्टेशनों के बीच विजुअल रूप में इमेजरी, डेटा और ध्वनि के संचार का रीयल टाइम डेटा उपलब्ध कराता है वो भी बिना किसी रुकावट के। इससे हवा में क्या मौजूद है और कौन सी चीज हवा में है, उसका आंकलन किया जाता है, जिसके बाद भारतीय वायुसेना को उसपर एक्शन लेना है या नहीं यह तय होता है।

ACCS सिस्टम की मुख्य विशेषताएं

यह सिस्टम अंतरिक्ष हो या आकाश या फिर जमीन, हर तरह की गतिविधियों को मॉनिटर कर उन्हें एक स्थान पर इकट्ठा कर इसकी जानकारी एक ही स्थान पर देता। इससे यह फायदा होता है कि किसी भी क्षेत्र की जानकारी एक ही समय पर एक ही बार में मिलती है। यह सिस्टम अलग-अलग कमांड और कंट्रोल नोड्स के साथ इस डेटा को भी साझा करता है, जिससे समन्वय बेहतर ढंग से होता है। इसके अलावा यह प्रणाली ऑटोमेटेड एयर डिफेंस सिस्टम को भी ऑपरेट करने का काम करता है, ताकि खतरों की पहचान तुरंत की जा सके और उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सके। इसके अलावा IACCS प्रणाली यह भी सुनिश्चित करना है कि किन टार्गेट्स पर हमला करना है और किन टार्गेट पर हमला नहीं करना है। इस सिस्टम की एक खासियत यह भी है कि यह भारतीय वायु सेना और अन्य सेनाओं के बीच बेहतर ढंग से समन्वय को स्थापित करता है।

IACCS सिस्टम का महत्व

IACCS प्रणाली के महत्व की अगर हम बात करें तो इसे मॉडर्न डे वॉरफेयर के लिहाज से तैयार किया गया है जो नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर में अहम भूमिका निभाने में सक्षम है। इसके अलाव IACCS को सेना की आकाशीर रक्षा प्रणाली और अन्य प्रणालियों के साथ भी जोड़ा या एकीकृति किया जा सकता हो ताकि इस दायरे को व्यापक रुप दिया जा सके और इसकी क्षमताओं को और भी ज्यादा मॉडर्न डे वॉरफेयर के हिसाब से बढ़ाया जा सके।

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