
उत्तराखंड में 4 महीने पहले सभी अपर सचिवों को प्रत्येक विकास खंड में दो-दो गांवों का भ्रमण कर सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने के निर्देश दिए थे.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रदेश के विकास खंडों में योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए दिए गए निर्देशों के बावजूद अधिकांश अपर सचिवों की लापरवाही सामने आई है. शासन ने चार माह पूर्व सभी अपर सचिवों को प्रदेश के प्रत्येक विकास खंड में दो-दो गांवों का भ्रमण कर वहां की स्थितियों का आकलन करने, सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करने और ग्रामीणों से फीडबैक लेने के निर्देश दिए थे. इन अधिकारियों को भ्रमण उपरांत अपनी विस्तृत रिपोर्ट नियोजन विभाग को सौंपनी थी. लेकिन, अब तक केवल 15 अपर सचिवों ने ही यह कार्य पूरा किया है.
प्रदेश शासन में लगभग 50 अपर सचिव तैनात हैं. जिनमें से अधिकांश अधिकारियों ने अभी तक न तो गांवों का भ्रमण किया है और न ही कोई रिपोर्ट सौंपी है. यह स्थिति शासन के लिए चिंता का विषय बन गई है। प्रमुख सचिव (नियोजन) आर. मीनाक्षी सुंदरम ने इस उदासीनता पर नाराजगी जताते हुए सभी अपर सचिवों को पत्र जारी कर उन्हें इस माह के भीतर अनिवार्य रूप से गांवों का भ्रमण पूरा करने और दो दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के सख्त निर्देश दिए हैं.
अधिकारियों की उदासीनता पर जताई नाराजगी
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिसंबर 2024 में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान दिए थे. उद्देश्य था कि अधिकारी सीधे ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर योजनाओं के धरातलीय क्रियान्वयन का मूल्यांकन करें और वास्तविक लाभार्थियों से संवाद कर योजनाओं में सुधार हेतु सुझाव एकत्र करें. इसके अतिरिक्त, अधिकारियों को रात्रि प्रवास भी करना था. ताकि वे ग्रामीण जीवन की चुनौतियों को करीब से समझ सकें. नियोजन विभाग ने इसके लिए दो बार दिसंबर 2024 और सात मार्च 2025 को आदेश जारी किए थे.
अपर सचिवों को नोडल अधिकारी बनाकर प्रदेश के विभिन्न विकास खंडों में भ्रमण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. भ्रमण के दौरान केंद्र और राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, कृषि विकास योजनाओं आदि की समीक्षा करनी थी. साथ ही, ग्रामीणों से योजनाओं की उपलब्धता, लाभ पहुंचने की स्थिति और उनमें आ रही समस्याओं पर फीडबैक लेना था.
शासन को अब तक केवल 15 अधिकारियों से ही भ्रमण रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जो कि कुल संख्या का मात्र एक तिहाई है. इस सुस्ती को देखते हुए शासन ने स्पष्ट किया है कि आगामी रिपोर्ट न सौंपने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. प्रमुख सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि शासन की योजनाएं तभी सफल होंगी जब अधिकारी उन्हें जमीनी स्तर पर जाकर देखें और स्थानीय लोगों की जरूरतों को समझें. उन्होंने सभी अपर सचिवों स इस कार्य को गंभीरता से लेने और निर्धारित समयसीमा में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है.