इंदौर पर प्रशासनिक पकड़ बरकरार रखना चाहते है सीएम यादव

आईएएस आशीष सिंह भी मुख्यमंत्री की रुचि के चलते इंदौर कलेक्टर बने,क्योकि वे उज्जैन कलेक्टर भी रह चुके थे और अपने गृह जिले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनका काम परखा था। नए पुलिस कमिश्नर उज्जैन रेंज के आईजी थे। उससे पहले भी वे उज्जैन एसपी रह चुके है।

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के महत्वपूर्ण पदों पर बीते 25 सालों से मुख्यमंत्री के पसंदीदा अफसरों के काबिज रहने की परिपाटी रही रही है। दिग्विजय सिंह के शासनकाल में उन्होंने मनोज श्रीवास्वत को इंदौर कलेक्टर बनाया था।

दिग्विजय सिंह से लेकर शिवराज सिंह शासनकाल में चली इस परंपरा को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने और ज्यादा बेतहर तरीके से आगे बढ़ाया है। इंदौर का प्रभाव उन्होंने खुद अपने पास रखा औ अब संतोष सिंह को पुलिस आयुक्त बनाकर यह संकेत दिए कि वे इंदौर की प्रशासनिक पकड़ को मजबूत रखना चाहते है।

आईएएस आशीष सिंह भी मुख्यमंत्री की रुचि के चलते इंदौर कलेक्टर बने,क्योकि वे उज्जैन कलेक्टर भी रह चुके थे और अपने गृह जिले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनका काम परखा था। नए पुलिस कमिश्नर उज्जैन रेंज के आईजी थे। उससे पहले भी वे उज्जैन एसपी रह चुके है।

इंदौर में राजनीतिक दबाव ज्यादा

इंदौर प्रदेश की आर्थिक राजधानी के साथ पाॅलिटिकल पाॅवर सेंटर भी है। इंदौर में दो मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट के अलावा आठ विधायक, एक सांसद और एक राज्यसभा सदस्य है।

मंत्री विजयवर्गीय लगातार इंदौर में ड्रग के अवैध धंधे का मुद्दा उठाते रहे है। पिछली बार इंदौर में उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने सार्वजनिक रुप से इंदौर में राजस्थान से नशा आने की बात कही थी।

मंत्री सिलावट का राजनीतिक दबाव पुलिस अफसरों पर रहता है। नए पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह की गिनती सख्त छवि के अफसरों में होती है। इंदौर पुलिस कमिश्नर रहते उन्हें राजनेताअेां से तालमेल बनाकर तो रखना होगा, लेकिन इंदौर में पिछले कार्यकाल में कई मामलों में उन्होंने राजनीतिक दबाव को दरकिनार कर भोपाल के अफसरों को विश्वास में लेकर सख्त एक्शन लिया था। अब देखना दिलचस्प होगा कि इंदौर पुलिस कमिश्नर के रुप में वे कितना कमाल दिखा पाते है।

Related Articles

Back to top button