इंग्लैंड में कौन सा शॉट खेलना है सुरक्षित? उपकप्तान पंत ने साथी खिलाड़ियों को दी यह सलाह

पंत शुक्रवार से शुरू होने वाली पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरेंगे। रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे स्टार खिलाड़ियों के संन्यास के बाद अब उन्हें बल्ले से भारत के लिए बड़ी भूमिका निभानी होगी।

भारत और इंग्लैंड के बीच शुक्रवार से पांच मैचों की टेस्ट सीरीज की शुरुआत हो रही है। पहला मैच लीड्स में खेला जाएगा। इससे पहले बुधवार को भारतीय उपकप्तान ऋषभ पंत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि इंग्लैंड में कौन सा शॉट खेलना बल्लेबाजों के लिए सबसे सुरक्षित है। पंत ने कहा कि उन्होंने अपने स्टांस में थोड़ा बदलाव किया है ताकि स्विंग के मुफीद इंग्लैंड की परिस्थितियों से निपटा जा सके।

पंत शुक्रवार से शुरू होने वाली पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरेंगे। रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे स्टार खिलाड़ियों के संन्यास के बाद अब उन्हें बल्ले से भारत के लिए बड़ी भूमिका निभानी होगी। वह सफेद गेंद के प्रारूप में ओपन स्टांस की तुलना में टेस्ट में साइड-ऑन खेलते दिखाई पड़ेंगे।

पंत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘मुझे लगता है कि यह बदलाव ज्यादातर मानसिक है। हालांकि, थोड़ा बहुत तकनीकी भी है। वनडे और टी20 में आपको अपना स्टांस थोड़ा खुला रखना होता है क्योंकि यह आपके शॉट खेलने पर निर्भर करता है।’ इंग्लैंड में बल्लेबाज के तौर पर पंत का रिकॉर्ड अच्छा है। इस दौरान उन्होंने नौ टेस्ट में 32.70 के औसत से 556 रन बनाए हैं। इसमें दो शतक और इतने ही अर्धशतक शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘इंग्लैंड आने पर आपको थोड़ा साइड-ऑन खेलना पड़ता है और इससे सही में मदद मिलती है। यह बुनियादी तकनीकी चीज है जिसे मैंने बदला है। इसके अलावा यह सिर्फ मानसिकता की बात है।’ हालांकि इस बार बाएं हाथ का यह बल्लेबाज उप कप्तान के तौर पर सीरीज की शुरुआत करेगा और उन्होंने कहा कि अतिरिक्त जिम्मेदारी ने उनकी नियमित सोच को प्रभावित नहीं किया है।

पंत ने कहा, ‘मैं अच्छी स्थिति में हूं। उप कप्तानी एक अतिरिक्त जिम्मेदारी है, लेकिन जब आप क्रीज पर होते हैं तो आप यह नहीं सोचते कि मैं उप कप्तान हूं या मैं सीनियर खिलाड़ी हूं। आप क्रीज पर सिर्फ एक बल्लेबाज होते हैं और आपको अपनी टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है। मैंने अपनी मानसिकता नहीं बदली है।’

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