मानवरहित युद्ध के बढ़ते चलन के बीच रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना की मानवरहित जलमग्न पोतों (अंडरवाटर वेसल) के निर्माण की 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की योजना को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय में हाल में हुई उच्चस्तरीय बैठक में 100 टन के इन पोतों के निर्माण को स्वीकृति प्रदान की गई।
पानी के भीतर बढ़ेगी नौसेना की ताकत
रक्षा सूत्रों ने बताया कि सामान्य से अधिक बड़े पोतों की श्रेणी के ये पोत दुश्मन की पनडुब्बियों और पानी की सतह पर मौजूद जहाजों पर हमला करने की क्षमता से लैस होंगे। नौसेना के पूर्व उपप्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे से जब इनकी क्षमता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये पोत नौसेना को पानी के अंदर विशेष क्षमता प्रदान करेंगे। इससे नौसेना को कई अभियानों में मदद मिलेगी।
इन कामों में इस्तेमाल करेगी नौसेना
सूत्रों ने बताया कि नौसेना ने इन पोतों का उपयोग कई कार्यों के लिए करने की योजना बनाई है जिनमें बारूदी सुरंगें बिछाना, बारूदी सुरंगें हटाना, निगरानी करना और हथियारों को दागना शामिल है। नौसेना अगले कुछ महीनों में इस परियोजना के लिए निविदा जारी करेगी और आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारतीय शिपयार्ड इसके लिए बोली लगाएंगे।
संदिग्ध जहाजों की निगरानी
नौसेना ऐसे पोत चाहेगी जो तट से काफी दूरी पर बहुत लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकें ताकि संदिग्ध जहाजों की आवाजाही और अन्य गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सके। उल्लेखनीय है कि नौसेना मानवरहित ऐसे जहाजों पर भी काम कर रही है, जिनका उपयोग दुनियाभर में चल रहे संघर्षों में बड़े जहाजों और परिसंपत्तियों को नष्ट करने के लिए किया गया है।
मानवरहित निगरानी पर फोकस
नौसेना ने भविष्य के लिए ड्रोनों के अलावा एमक्यू-9बी और ²ष्टि हर्मीस 900 जैसे ड्रोनों को शामिल करके अपनी मानवरहित लंबी दूरी की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है।