अखिलेश दुबे ने वसूली के खेल में पुलिसवालों को भी बनाया मोहरा… इस आड़ में आते थे दरबार

कानपुर के चर्चित अधिवक्ता अखिलेश दुबे के इशारों पर फर्जी रिपोर्ट दर्ज करने वाले 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी रडार पर हैं। पीड़ितों ने पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगा रिपोर्ट दर्ज कराई है। कई दरोगा से इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर से सीओ बन नौकरी कर रहे हैं।

कानपुर में चर्चित अधिवक्ता अखिलेश दुबे के नाम पर अब तक चार रिपोर्ट दर्ज हुई हैं। इन सभी में पुलिस से मिलीभगत और उसके इशारे पर थानों में झूठी रिपोर्ट दर्ज हो जाने की बात सामने आ रही है। 

ऐसे में उच्चाधिकारी उन थानेदार, दरोगा और पुलिसकर्मियों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं जो अखिलेश के कहने पर झूठी रिपोर्ट दर्ज कर फिर फाइनल रिपोर्ट लगा देते थे या पीड़ित को धमकाते थे। 

ऐसे पुलिस कर्मियों की संख्या 50 से ज्यादा बताई जा रही है। इनमें से कई दरोगा से इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर से सीओ बनकर दूसरे जिलों में नौकरी कर रहे हैं। वहीं, कुछ करीबी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। 

विधिक राय लेने की आड़ में आते थे दरबार

अखिलेश के करीबी दरोगा, थानेदारों का अक्सर उसके साकेतनगर स्थित दरबार में जमावड़ा लगा रहता था। यह बात पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी छुपी नहीं थी। हालांकि जब भी कभी उच्चाधिकारियों ने इस बारे में वहां जाने वाले पुलिस कर्मियों को टोका। 

सभी रटा रटाया जवाब देते थे कि दुबे जी के पास विधिक राय लेने गए थे। ऐसे में अधिकारी भी चाहकर उन्हें कुछ नहीं कह पाते थे। अब उनके गठजोड़ का भांडा फूट गया है। ऐसे में अब उच्चाधिकारियों के सामने उन दरोगा, इंस्पेक्टर या अन्य पुलिस कर्मियों के अखिलेश के दरबार में जाने की वजह भी सामने आ गई है।

वसूली के खेल में पुलिसकर्मियों को भी बनाया मोहरा

झूठी एफआईआर लिखाकर लाखों-करोड़ों की वसूली के खेल में पुलिस कर्मियों को मोहरों की तरह इस्तेमाल किया गया। इसके बदले में उन पर कितनी और किस तरह की कृपा हुई यह भी अब अधिकारी पता लगा रहे हैं। 

अखिलेश दुबे पर रिपोर्ट होने और उसके जेल जाने के बाद से पुलिस कर्मियों में दहशत है। वह शहर में कार्यकाल के दौरान साथ रहे पुलिस कर्मियों से यहां के माहौल के बारे की जानकारी जुटा रहे हैं। 

रडार पर आने वाले पुलिस कर्मियों में कई तो इस समय कानपुर जोन के बाहर चले गए हैं। कुछ आसपास के जिलों में तैनात हैं। सबसे ज्यादा तनाव उन थानेदारों पर है जिन्होंने रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद गिरफ्तारी के प्रयास नहीं किए थे। बाद में विवेचक से फाइनल रिपोर्ट लगवा दी थी।

पिता-पुत्र की हिरासत पर कयासों का दौर तेज
जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे के करीबी पिता-पुत्र को पुलिस हिरासत में रखे हैं। दोनों के फोन बंद जा रहे हैं। उन्हें पुलिस ने पूर्वोत्तर राज्य जाने से ठीक दो दिन पहले हिरासत में लिया है। 

वहीं, पुलिस के उच्चाधिकारियों ने हिरासत में होने की पुष्टि भी की थी लेकिन इनका नाम सार्वजनिक नहीं किया है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ये पिता पुत्र हैं कौन। 

अखिलेश दुबे और कॉस्मोजिन पब लाउंज संचालक लवी मिश्रा के जेल जाने के बाद से उनके करीबियों में दहशत है। इनमें से कुछ शायद भूमिगत भी हो गए हैं। यही वजह है कि कोई इन्हें अधिवक्ता पिता-पुत्र बता रहा है तो कोई राजनीतिक दल से जुड़ा हुआ।

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