बांसवाड़ा में महिलाओं ने पुरुषों की तरह धोती-कुर्ता, सिर पर पगड़ी पहनकर और हाथों में लट्ठ व तलवार लेकर ‘धाड़’ निकाली। धाड़ का मतलब डकैती डालना होता है। तलवार लेकर निकली महिलाओं ने कहा – हे भगवाबीन अगर अच्छी बारिश नहीं हुई तो सूखा पड़ेगा। खेतों में फसलें सूख जाएंगी। खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिलेगा। इससे परेशान होकर ऐसे ही सड़कों पर चोर लुटेरे निकलेंगे। घरों में लूट व डकैती डालेंगे।
दरअसल, बांसवाड़ा जिले में इस बार मानसून में बारिश कमजोर रही है। बांसवाड़ा में -33% कम पानी बरसा है। मौसम विभाग जयपुर ने बारिश में कमी हो देखते हुए बांसवाड़ा, डूंगरपुर, सिरोही व उदयपुर जिले को रेड जोन में रखा है। कम बारिश के कारण महिलाओं ने अपनी 100 साल पुरानी ‘धाड़’ परपंरा को निभाया।
बरसे इंद्रदेव–
‘धाड़’ परपंरा को निभाते हुए उपखंड क्षेत्र की महिलाओं ने शुक्रवार को जुलूस निकाला। महिलाएं जैसे ही टामटिया गांव से पांच किमी दूर धाड़ डालने निकली। अचानक शुक्रवार दोपहर 12.45 मौसम बदल गया। बादल गरजने के साथ मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। धाड़ के लिए निकली महिलाएं बारिश में भीगती नजर आई।
हाथों में तलवार, लठ्ठ, सिर पर पगड़ी, माथे पर तिलक, कलाई में कड़े और पैरों में जूतियां पहनी महिलाओं को देखकर तो एक बार वहां से गुजर रहे वाहन चालक, राहगीर और ग्रामीण डर गए, लेकिन इन महिलाओं की मंशा किसी पर हमले या डराने की नहीं थी।
इलाके में अच्छी बारिश की कामना
सूखे के संकट का सामना कर रहे इस इलाके में अच्छी बारिश की कामना थी। शुक्रवार सुबह सशस्त्र महिलाएं पुरुषों के वेशभूषा पहनकर एकत्रित हुई। इसके बाद टामटिया से होते हुए बरकोटा, छाजा के वागेश्वरी माताजी मंदिर में लोकगीतों के साथ पूजा अर्चना की। वहां से कथिरिया, कांगलिया होते हुए अनास नदी के पास प्राचीन गौतमेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद वापसी में छाजा में ठाकुर द्वारा प्राचीन राममंदिर में नारियल होम किया, इसके रावले में पहुंचकर लोक गीत गाते हुए नजर आए।
लोक गीत गाते किया नृत्य–
माताजी मंदिर के बाहर सभी महिलाओं ने धारिये, तलवारें, तीर कमान, लठ्ठ लेकर लोक गीत गाते हुए गेर नृत्य किया। ये महिलाएं 10-15 किलोमीटर घूमकर वापस टामटिया के माला देवी मंदिर पहुंचीं, जहां पूजा अर्चना कर नारियल होम में आहुतियां दी।
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