उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- देखा जा रहा है कि व्यक्तिगत हित और राजनीतिक स्वार्थ को राष्ट्रहित से ऊपर रखा जा रहा है। अच्छे और बड़े पद पर रहने वाले कुछ लोग ऐसा दिखाते हैं कि देश में कुछ भी हो सकता है। हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम किसी भी हाल में राष्ट्रीयता को तिलांजलि नहीं देंगे।
रविवार को उपराष्ट्रपति जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में देहदानी परिवार सम्मान एवं आभार समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। जैन सोशल ग्रुप सेंट्रल संस्थान की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा- राजनीति में प्रजातंत्र की अपनी खूबी है। अलग-अलग विचार रखना प्रजातंत्र के गुलदस्ते की महक है। यह तब तक है, जब तक राष्ट्रहित को तिलांजलि नहीं दे दी जाए। भारतीयता हमारी पहचान है। राष्ट्र हमारे लिए सर्वोपरि है, जिनके लिए राष्ट्र सर्वोपरि नहीं है। जो राजनीतिक हित और व्यक्तिगत स्वार्थ को ऊपर रखते हैं, उनको हमें समझना चाहिए। मैं आपसे अपील करता हूं कि राष्ट्र के विकास के लिए ऐसी ताकतों को हमें रोकना होगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की इस बात के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। कुछ दिन पहले विपक्षी सांसदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही थी।
संविधान पर सबसे बड़ा खतरा –
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- देश मे तेजी से विकास हो रहा है। वो अकल्पनीय है। साल 1989 में मैं केंद्रीय मंत्री था। हमने कल्पना भी नहीं की थी कि देश में इस तेजी के साथ विकास होगा। इसलिए मैं आज की पीढ़ी से आह्वान करता हूं कि उन्हें यह देखना चाहिए कि देश में संविधान पर खतरा कब आया था।
साथ ही उन्होंने कहा कुछ लोग कहते हैं कि आपातकाल का काला अध्याय चुनाव से खत्म हो गया था। लेकिन ऐसा नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार ने आपातकाल के दिन संविधान हत्या दिवस मनाने की जो पहल की है, वह नई पीढ़ी को आगाह करने के लिए है। ऐसा कालखंड था, जब आपके मौलिक अधिकार समाप्त हो गए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए थे। कार्यपालिका का तानाशाही रवैया शिखर पर पहुंच गया था। इतिहास में इसका कोई ओर उदाहरण नहीं मिलेगा।
हम अपने लोगों से काम छीन रहे हैं –
उपराष्ट्रपति कहा कि हम कैंडल, पतंग, खिलौने, फर्नीचर, कारपेट, कपड़े आयात करते हैं। ऐसा करके हम अपने लोगों से उनका काम छीन रहे हैं। हमारे बिजनेसमैन को आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं। हमारा फॉरेन एक्सचेंज देश के बाहर भेज रहे हैं। क्या हम मात्र धन लाभ के लिए आर्थिक राष्ट्रीयता को तिलांजलि देना चाहते हैं।
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