उत्तराखंड: वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण के लिए 15 करोड़ रुपये मंजूर, लंबित मामलों का होगा भुगतान

Uttarakhand News: विभागीय आंकड़ों के अनुसार मुआवजा प्रकरणों में सबसे अधिक मामले फसल क्षति से जुड़े हैं. हाथी सहित अन्य जंगली जानवरों द्वारा खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया गया है. उत्तराखंड में वन्यजीव संघर्ष से प्रभावित लोगों के लिए राहत की खबर है. आपदा प्रबंधन विभाग ने वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण के लिए 15 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी है. इस राशि के मिलने से लंबे समय से लंबित पड़े मुआवजा प्रकरणों का भुगतान संभव हो सकेगा. वन विभाग को अब मानव मृत्यु, घायल, फसल क्षति, पशु क्षति और भवनों को हुए नुकसान के मामलों में राहत राशि जारी करने में आसानी होगी.

वन विभाग के पास वर्तमान में करीब 18 करोड़ रुपये के मुआवजा प्रकरण लंबित पड़े थे. बजट की कमी के कारण इन मामलों में समय पर भुगतान नहीं हो पा रहा था, जिससे प्रभावित परिवारों और किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. इसे देखते हुए वन विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग से आपदा मोचन निधि के तहत राशि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था. इस पर आपदा प्रबंधन विभाग ने 15 करोड़ रुपये स्वीकृत करते हुए आदेश जारी कर दिए हैं.

विभागीय आंकड़ों के अनुसार मुआवजा प्रकरणों में सबसे अधिक मामले फसल क्षति से जुड़े हैं. हाथी सहित अन्य जंगली जानवरों द्वारा खेतों में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया गया है. फसल क्षति के मामलों में ही लगभग 13 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना है. इसके अलावा पशु क्षति और भवनों को हुए नुकसान से संबंधित कई मामले भी लंबे समय से लंबित चल रहे थे. वन्यजीवों के हमले में मानव मृत्यु के भी कुछ प्रकरण सामने आए हैं. विभागीय अधिकारियों के अनुसार ऐसे पांच मामलों में अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाना है. इसके अलावा घायल व्यक्तियों के इलाज और पुनर्वास से जुड़े प्रकरण भी मुआवजा सूची में शामिल हैं. अब स्वीकृत राशि से इन सभी मामलों में चरणबद्ध तरीके से भुगतान किया जाएगा.

वन सीमा से सटे इलाकों में वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर समस्या

प्रदेश के कई ग्रामीण और वन सीमा से सटे इलाकों में वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. हाथी, गुलदार और अन्य वन्यजीवों के कारण किसानों की फसलें नष्ट हो रही हैं और कई बार जान-माल का नुकसान भी हो रहा है. ऐसे में समय पर मुआवजा न मिलने से लोगों में असंतोष बढ़ रहा था. वन विभाग का कहना है कि राशि मिलने के बाद प्राथमिकता के आधार पर पुराने और गंभीर मामलों का निस्तारण किया जाएगा. इससे प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी और वन्यजीव संघर्ष के मामलों में विभागीय कार्यवाही भी तेज हो सकेगी.


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