
Uttarakhand News: आदि कैलाश की बर्फीली वादियों में माइनस तापमान के बीच हाई एल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन आयोजित हुई. जिसमें 22 राज्यों के 780 धावकों ने भाग लेकर साहस और आस्था का प्रदर्शन किया. आदि कैलाश की पवित्र वादियां रविवार (2 नवंबर) को ‘बम-बम भोले’ और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से गूंज उठीं. मौका था देश की सबसे कठिन पर्वतीय दौड़ों में शामिल हाई एल्टीट्यूड अल्ट्रा मैराथन का, जिसमें 15 से 60 वर्ष की आयु के करीब 780 धावकों ने भाग लिया.
14 हजार फीट की ऊंचाई पर जैसे ही सूरज की सुनहरी किरणें चोटियों पर पड़ीं, धावकों ने अपनी यात्रा शुरू की. यह दौड़ आदि कैलाश से गुंजी तक आयोजित की गई, जिसमें बर्फीले रास्तों और कठिन ट्रेल्स को पार करते हुए प्रतिभागियों ने हौसले और संकल्प की नई मिसाल पेश की.
दौड़ में 22 राज्यों से आए धावकों ने लिया हिस्सा
जानकारी के अनुसार, यह आयोजन उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर किया गया, जिसका उद्देश्य शीतकालीन साहसिक पर्यटन और धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन देना था. देश के 22 राज्यों से धावकों ने इसमें भाग लिया. प्रतियोगिता में 5 किलोमीटर से लेकर 60 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी थी.
आदि कैलाश में विकास और पर्यटन के अवसर खोलेगा मैराथन- अजय टम्टा
केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने इस अवसर पर कहा कि यह आयोजन आदि कैलाश क्षेत्र में विकास और पर्यटन के नए द्वार खोलेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल साहसिक खेलों को बढ़ावा देंगे, बल्कि सीमांत इलाकों में रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण के अवसर भी पैदा करेंगे.
पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में राज्य में रोमांचक पर्यटन को नई दिशा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि स्थानीय ग्रामीणों ने धावकों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था में महत्वपूर्ण सहयोग दिया, जिससे वाइब्रेंट विलेज योजना को भी नई गति मिलेगी.
अल्ट्रा मैराथन न खेल भावना को किया प्रोत्साहित- संजय गुंज्याल
आईटीबीपी के आईजी संजय गुंज्याल ने कहा कि यह अल्ट्रा मैराथन न केवल खेल भावना को प्रोत्साहित करती है, बल्कि आदि कैलाश के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगी.
जब बर्फ से ढकी घाटियों के बीच धावक ‘बम-बम भोले’ के जयकारे लगाते हुए फिनिश लाइन पार कर रहे थे, तब पूरा इलाका श्रद्धा, रोमांच और देशभक्ति की ऊर्जा से भर गया. प्रतिभागियों ने आयोजन के उत्कृष्ट प्रबंधन के लिए पर्यटन विभाग, आईटीबीपी और जिला प्रशासन का आभार जताया. यह दौड़ केवल एक खेल नहीं, बल्कि आस्था और साहस का संगम बनकर हमेशा याद की जाएगी.



