Uttarakhand: उत्तराखंड के नैनीताल से 8 किमी दूर स्थित खूपी गांव। पहाड़ी की तलहटी पर चीड़ के सुंदर पेड़ों से घिरे इस गांव के सीढ़ीदार खेत और सुंदर नजारे पर्यटकों को दूर सड़क से ही आकर्षित करता हैं, लेकिन जब गांव के नजदीक आने पर यहां का दर्द सामने आ जाता है।
यह पूरा गांव भी जोशीमठ की तरह भू-धंसाव की जद में आ चुका है। गांव के प्रदीप त्यागी बताते हैं कि गांव में 2012 के बाद से भू-धंसाव होने लगा था। यहां करीब 3 किमी के हिस्से में पहाड़ धंस रहे हैं। कई लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है।
खूपी गांव के पास से गुजरने वाला बरसाती नाला हर साल गांव की ओर का हिस्सा काट रहा है। छह घर तो पूरी तरह टूटने की कगार पर हैं। गांव के रहने वाले बच्ची राम का घर की पूरी छत गिरने को थी, इसलिए वह अपने परिवार के साथ घर छोड़कर चले गए हैं।
गांव के 19 घरों में हर साल दरारें आ रही हैं। भूस्खलन के खतरे को देखते हुए बीते मंगलवार को प्रशासन की टीम ने खूपी का निरीक्षण किया था। प्रशासन ने गांव के लिए 15 करोड़ की ट्रीटमेंट योजना बनाई है।
चार्टन लॉज क्षेत्र में एक बार फिर से भूस्खलन हो रहा है। जिससे अब 18 परिवारों सहित आस-पास के दर्जनों घरों पर खतरा मंडराने लगा है। अब तक तीन परिवारों ने घर छोड़ दिया है। बाकी परिवारों के लिए भी चेतावनी जारी की गई है। राज्य लोक निर्माण विभाग ने भूस्खलन को रोकने के लिए यहां जियो बैग का इस्तेमाल किया है। पिछले साल इस पहाड़ी पर हुए भूस्खलन में दो मकान ध्वस्त हो गए थे।