
पांच साल से चली आ रही संघर्षपूर्ण लड़ाई आखिरकार 19 वर्षीय युवती के लिए उम्मीद बन गई जब सफदरजंग अस्पताल की सर्जरी टीम ने उसके पेट से 10.1 किग्रा वज़नी विशाल रेट्रोपरिटोनियल ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला। यह ट्यूमर आकार में लगभग 30 x 20 x 20 सेंटीमीटर था और इसने मरीज के प्रमुख अंगों व रक्त वाहिकाओं को कहीं-कहीं विस्थापित कर रखा था, जिससे ऑपरेशन तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण बन गया था।
अस्पताल के निदेशक डॉ. संदीप बंसल, प्रिंसिपल डॉ. गीतिका खन्ना, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. चारु बंबा तथा एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. कविता शर्मा के नेतृत्व में गठित विशेषज्ञ टीम—जिसका नेतृत्व सर्जरी यूनिट S6 की प्रोफेसर डॉ. शिवानी बी. पारुथी ने किया—ने बहु-विषयक सहयोग में यह जटिल शल्यचिकित्सा बिना किसी जटिलता के संपन्न कराई।
ऑपरेशन में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, कार्डियोथोरासिक वेस्कुलर सर्जरी (CTVS) विशेषज्ञ, ऑपरेशन थिएटर व आईसीयू स्टाफ और सहायक टीमें शामिल थीं। टीम ने सावधानीपूर्वक कार्य करते हुए रोगी के विस्थापित अंगों को उनकी सामान्य स्थिति में पुनर्स्थापित किया और पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल को प्राथमिकता दी।
ऑपरेशन के बाद मरीज को HDU वार्ड 24 में निगरानी और एहतियात के साथ रखा गया। चिकित्सकीय देखरेख के बाद रोगी की स्वास्थ्य स्थिति में निरंतर सुधार दर्शा और उसे स्वस्थ हालत में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

इस केस की विशेषता इसकी जटिलता और बहु-विषयक टीम व उच्च स्तरीय देखभाल थी—जो सफदरजंग अस्पताल की जीवनरक्षक क्षमताओं, समन्वित टीमवर्क और मरीज-केन्द्रित प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। इस सफल शल्यचर्या ने न सिर्फ एक जवान लड़की और उसके परिवार को नया जीवनदान दिया है, बल्कि ऐसे कठिन मामलों में अस्पताल की विशेषज्ञता का उदाहरण भी प्रस्तुत किया है।
मामले के मुख्य बिंदु
- रोगी: 19 वर्षीय युवती, 5 साल से बीमारी से जूझ रही।
- ट्यूमर: रेट्रोपरिटोनियल, आकार ≈ 30 x 20 x 20 सेमी, वजन 10.1 किग्रा।
- नेतृत्व एवं चिकित्सा टीम: डॉ. संदीप बंसल, डॉ. गीतिका खन्ना, डॉ. चारु बंबा, डॉ. कविता शर्मा; प्रमुख सर्जन—प्रोफेसर डॉ. शिवानी बी. पारुथी।
- सहयोगी विभाग: एनेस्थेसिया, रेडियोलॉजी, CTVS, OT/ICU स्टाफ तथा सहायता-टीमें।
- परिणाम: ट्यूमर सफलतापूर्वक हटाया गया; अंग सामान्य स्थिति में लाए गए; मरीज स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज।
अस्पताल का संदेश: यह जटिल शल्यक्रिया अस्पताल की क्षमता, समन्वित विशेषज्ञता और रोगी-केन्द्रित सेवाओं की पुष्टि करती है, जो जीवन-रक्षा के क्षेत्र में निरन्तर योगदान देती रहेगी