
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाकर सरदार वल्लभभाई पटेल के एकीकृत भारत के सपने को साकार किया। देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर यहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाते हुए शाह ने कहा कि भारत की आजादी के बाद अंग्रेजों ने देश को 562 रियासतों में बांटकर छोड़ने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय पूरी दुनिया को लगा कि इन 562 रियासतों को एक राष्ट्र में मिलाना असंभव होगा लेकिन सरदार पटेल ने बहुत कम समय में इन सभी रियासतों का एकीकरण कर दिखाया। आज हम जिस आधुनिक भारत का नक्शा देखते हैं, वह उनकी दूरदर्शिता और अथक प्रयासों का परिणाम है।” गृह मंत्री ने कहा कि कुछ रियासतों ने भारत में विलय को लेकर हिचकिचाहट दिखाई थी लेकिन सरदार पटेल ने हर चुनौती का सामना दृढ़ निश्चय के साथ किया।
शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर भारत का पूर्ण रूप से हिस्सा नहीं बन सका था। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को हटाकर सरदार पटेल के अधूरे कार्य को पूरा किया और आज हमारे पास ‘अखंड भारत’ है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने सरदार पटेल को वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह हकदार थे। उन्होंने कहा कि देश के एकीकरण के निर्माता को भारत रत्न देने में भी 41 साल की देरी हुई। शाह ने कहा, ‘‘कांग्रेस शासन में न तो उनके नाम पर कोई भव्य स्मारक बना और न ही कोई स्मृति स्थल। जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तभी उन्होंने सरदार पटेल की स्मृति में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का विचार रखा और एक भव्य स्मारक बनाया। इस प्रतिमा की नींव 31 अक्टूबर 2013 को रखी गई थी।” उन्होंने बताया कि 182 मीटर ऊंची इस प्रतिमा का निर्माण मात्र 57 महीनों में पूरा हो गया जिसमें देशभर के किसानों के औजारों से जुटाए गए लोहे का उपयोग किया गया। शाह ने कहा कि इन औजारों को एकत्र कर लगभग 25,000 टन लोहे का निर्माण किया गया जो प्रतिमा के निर्माण में उपयोग हुआ। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, ‘‘इसमें 90,000 घन मीटर कंक्रीट और 1,700 टन से अधिक कांसा लगाया गया जिससे यह स्मारक बना, जो आज सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देने का प्रतीक बन चुका है।” उन्होंने बताया कि अब तक 2.5 करोड़ से अधिक देशी और विदेशी पर्यटक ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का दर्शन कर चुके हैं और यह भारतीय अभियांत्रिकी की एक अनोखी मिसाल बन गई है। इससे पहले, शाह ने यहां पटेल चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक एक पोस्ट में ‘लौह पुरुष’ सरदार पटेल को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें ‘‘राष्ट्रीय एकता, अखंडता और किसानों के सशक्तीकरण का प्रतीक” बताया। उन्होंने लिखा, ‘‘सरदार साहब ने रियासतों का विलय कर देश की एकता और सुरक्षा को मजबूत किया और किसानों, पिछड़े वर्गों तथा वंचितों को सहकारिता से जोड़कर आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर किया।” शाह ने कहा कि सरदार पटेल का दृढ़ विश्वास था कि भारत के विकास की धुरी किसानों की समृद्धि में निहित है। उन्होंने कहा, ‘‘पटेल ने अपना पूरा जीवन किसानों के कल्याण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित किया। सरदार साहब द्वारा निर्मित राष्ट्र की रक्षा करना हर देशभक्त का कर्तव्य है, जो न्याय और एकता के सिद्धांतों पर आधारित है।” मोदी सरकार 2014 से हर वर्ष 31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाती आ रही है ताकि देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता को दोहराया जा सके। भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल को 550 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने का श्रेय दिया जाता है। इस वर्ष उनकी 150वीं जयंती के अवसर पर देशभर में राष्ट्रीय एकता दिवस के तहत अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें गुजरात के केवड़िया में उनकी प्रतिमा के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में एक भव्य परेड का आयोजन भी शामिल है।
 
				


