
नवजात शिशुओं में डिहाइड्रेशन फीवर शरीर में Fluid की कमी के कारण होता है, न कि संक्रमण से। यह अक्सर उन बच्चों में देखा जाता है जिन्हें पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है, खासकर गर्मी के मौसम में। इस तरह का बुखार होने पर शरीर में कुछ लक्षण नजर आने लगते हैं।
पानी की कमी होने का सीधा मतलब डिहाइड्रेशन होता है। ये समस्या किसी काे भी हो सकती है। चाहे वो बच्चा हो या कोई बड़ा व्यक्ति। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नवजात शिशुओं को भी ये समस्या हो सकती है। आपने नोटिस किया होगा कि कई बार शिशुओं को हल्का बुखार हो जाता है। हालांकि जांच में कोई इन्फेक्शन नहीं मिलता है। ये और कुछ नहीं बल्कि Dehydration Fever का संकेत होता है।
डॉ. काजल सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट, एनआईआईएमएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, नोएडा) ने बताया कि नवजात शिशुओं की देखभाल करना सबसे कठिन माना जाता है। वे बेहद नाज़ुक होते हैं। जरा सी लापरवाही भी उनकी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। उन्हीं में से एक डिहाइड्रेशन फीवर होत है। कई बार लोग इसे साधारण समझ लेते हैं, जो कि पूरी तरह से गलत है।
डॉक्टर ने कहा कि ये समस्या शिशुओं में खासतौर पर गर्मियों में देखी जाती है। इसके अलावा जो बच्चे ठीक से दूध नहीं पी रहे होते हैं या अच्छे से हाइड्रेट नहीं हो पाते, उन्हें भी इस तरह का बुखार हो सकता है। उन्हाेंने बच्चों में dehydration Fever का मतलब बताया है। साथ ही इसके कारण और लक्षणों के बारे में भी जानकारी दी है।
क्या है Dehydration Fever?
जब अचानक से Newborns के शरीर का तापमान बढ़ने लगे तो Dehydration Fever की समस्या हो सकती है। ये बुखार किसी इन्फेक्शन से नहीं होता है, बल्कि उनके शरीर में fluid की कमी के कारण होता है। जो बच्चे सिर्फ मां के दूध पर निर्भर होते हें, ये समस्या उनमें सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। जब बच्चे को जरूरी मात्रा में दूध नहीं मिल पाता है तो उसके शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसका सीधा असर शरीर के तापमान पर पड़ता है। इससे तापमान बढ़ सकता है।
क्या है कारण
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। या तो बच्चे को सही मात्रा में मां के स्तन से दूध नहीं मिल पा रहा है। कई बार मां का दूध बनने में भी थोड़ा समय लगता है, जिससे शुरुआत में बच्चे को कम दूध मिलता है। वहीं दूसरा कारण गर्मी और उमस भरा मौसम भी होता है। बच्चे की कोई सेहत से जुड़ी समस्या भी उसे दूध पीने या पचाने में दिक्कत दे सकती है, इस कारण डिहाइड्रेशन का खतरा और बढ़ जाता है।
लक्षण भी जानें
शरीर का तापमान हल्का बढ़ जाना
बच्चे का सुस्त होना
जरूरत से ज्यादा सोना
दूध न पीना
होठों और मुंह का ड्राई होना
रोते समय आंसू न आना
लंबे समय तक पेशाब न करना
इलाज क्या है?
शिशुओं को बार-बार स्तनपान कराना जरूरी है।
अगर बच्चा मुंह से दूध नहीं पी पा रहा है या जरूरत से बहुत कम ले रहा है, तो डॉक्टर की देखरेख में इंट्रावेनस फ्लूइड देना पड़ सकता है।
अगर बच्चे में डिहाइड्रेशन के लक्षण नजर आ रहे हैं तो बिना देर किए अस्पताल ले जाना समझदारी होगी।
पेशाब पर नजर रखना।