Haryana: INLD का छिन सकता है चुनाव चिह्न और रिजनल पार्टी का दर्जा ?

हरियाणा में कभी राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाली इनेलो 2024 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो सीटें जीत पाई हैं और उन्हें सिर्फ 4.14 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए हैं.

हरियाणा विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर बीजेपी जहां प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, वहीं दूसरी तरह इंडियन नेशनल लोकदल पर संकट के बादल छाने लगे हैं. इनेलो को इस चुनाव में महज 4.14 फीसदी वोट मिले हैं, जिसकी वजह से पार्टी के इलेक्शन सिंबल और क्षेत्रीय पार्टी के दर्जे पर खतरा मंडराने लगा है. इनेलो की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा रहे अभय चौटाला अपनी ऐलनाबाद सीट भी नहीं बचा पाए, उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनिवाल के सामने हार का सामना करना पड़ा.

2024 के विधानसभा चुनाव में इनेलो ने सिर्फ दो सीटों पर जीत दर्ज की है. अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला ने रानियां सीट से और डबवाली से आदित्य देवीलाल ने जीत दर्ज की है. इनेलो दो सीटों पर तो जीतने में कामयाब रही, लेकिन चुनाव आयोग के सिंबल बचाने के लिए पांच नियमों को पूरा नहीं कर पाई. पार्टी को छह प्रतिशत से भी कम वोट मिले हैं. 2019 के चुनावों में सिर्फ 2.44 प्रतिशत वोट मिले थे. 

इनेलो के पास अस्तित्व बचाने की चुनौती

कभी हरियाणा की राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाले इनेलो के लिए अब अपना अस्तित्व बचाना भी चुनौती बन गया है. उसका चश्मा चुनाव चिन्ह भी बचना भी मुश्किल हो रहा है. 2019 के मुकाबले इनेलो ने एक सीट ज्यादा जीती है, लेकिन उनका वोट 4.14 प्रतिशत ही रह गया है, जबकि उन्हें अपना सिंबल बचाने और क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा बरकार रखने के लिए छह प्रतिशत मत हासिल जरूरी था. ऐसे में अगर पार्टी का सिंबल छीन जाता है तो उसके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.

परिवारिक कलह के बाद INLD का बुरा हाल

2018 में परिवारिक कलह की वजह से इनेलो टूट गई थी. अजय चौटाला और उनके दो बेटों दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला ने पार्टी को अलविदा कह दिया था और जननायक जनता पार्टी (JJP) के नाम से नई पार्टी का गठन किया था. अब हरियाणा में दोनों पार्टियों की स्थिति खराब दिख रही है. न तो इनेलो का व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है और न ही जेजेपी का. इनेलो की फूट का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी और कांग्रेस को हुआ है.

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