Haryana: मेवात में तब्लीगी जमात का ऐतिहासिक जलसा! 3 लाख से ज्यादा लोगों के बीच हिंदू-मुस्लिम की एकता

Mewat News: मेवात में तब्लीगी जमात के 3 दिन के जलसे में 3 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए. इस आयोजन में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल तब दिखी जब हिंदुओं ने ‘मोहब्बत की चाय’ व बिरयानी के स्टॉल लगाए. हरियाणा के मेवात में तब्लीगी जमात का तीन दिन का विशाल जलसा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. इस धार्मिक आयोजन में देश और विदेश से करीब तीन लाख से ज्यादा लोग पहुंचे. लाखों लोगों की मौजूदगी के बावजूद माहौल सौहार्दपूर्ण रहा, जिसे धार्मिक संवाद और एकता की मिसाल माना जा रहा है. 

तब्लीगी जमात की स्थापना 99 साल पहले मौलाना मोहम्मद इलियास कांधलवी ने की थी, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को इस्लाम के सही रास्ते पर लाना है, न कि धर्म परिवर्तन कराना. यह संगठन दुनिया के 150 देशों में सक्रिय है और खुद को गैर-राजनीतिक बताता है.

भीड़ का सैलाब और व्यवस्थाओं का अनुशासित संचालन

मेवात के मैदानों में दूर-दूर तक इंसानों का सैलाब नजर आया. करीब तीन लाख लोगों की मौजूदगी के बावजूद जलसा पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा. इस आयोजन में तब्लीगी जमात के अमीर हजरत मौलाना साद भी पहुंचे. भीड़ को संभालने और व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक हजार से अधिक वॉलंटियर्स लगातार सक्रिय रहे. भोजन, पानी और ठहरने की व्यवस्थाएं बड़ी सुगमता से संचालित की गईं, जिससे किसी प्रकार की अव्यवस्था नहीं हुई.

हिंदू-मुस्लिम एकता की झलक

इस जलसे की सबसे बड़ी खासियत रही आपसी भाईचारे की मिसाल. जलसे में जहां लाखों मुसलमान शामिल हुए, वहीं हिंदू समुदाय के लोगों ने भी खुलकर सहयोग किया. अखिल भारतीय पिछड़ा और अल्पसंख्यक कर्मचारी महासंघ की ओर से ‘मोहब्बत की चाय’ का स्टॉल लगाया गया, जिसकी स्थापना दिवंगत नेता कांशीराम ने की थी. इस स्टॉल पर लोगों को चाय पिलाकर सौहार्द का संदेश दिया गया. वहीं राजेश गर्ग नाम के व्यक्ति ने वेज बिरयानी का स्टॉल लगाकर मानवता की मिसाल पेश की.

तब्लीगी जमात का उद्देश्य और महत्व

तब्लीगी जमात ऐसे जलसे इसलिए करती है ताकि मुसलमानों को सही आचरण और सादगी के मार्ग पर लाया जा सके. यह संगठन धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि आत्म-सुधार पर केंद्रित है. इसमें शामिल लोग अपने-अपने क्षेत्रों में इस्लाम के सही संदेश को फैलाने का काम करते हैं. मेवात का यह जलसा न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द के लिहाज से भी ऐतिहासिक माना जा रहा है, जिसने दिखाया कि इंसानियत और मोहब्बत सबसे बड़ा धर्म है.


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