हरियाणा चुनाव में अभी तक पुरुषों का ही दबदबा कायम रहा है और इस बार भी विधानसभा चुनाव में सिर्फ 51 महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। प्रमुख राजनीतिक दलों ने जिन महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है, उनमें से अधिकतर का तो राजनीतिक परिवार से नाता है या फिर वे कोई चर्चित चेहरा हैं। हरियाणा के 1966 में पंजाब से अलग होकर राज्य बनने के बाद से विधानसभा में अभी तक केवल 87 महिलाएं चुन कर पहुंची हैं।
हरियाणा अपने खराब लैंगिक अनुपात के लिए हमेशा चर्चा में रहा है और यहां अभी तक कभी कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं बनी है। उम्मीदवारों की सुधी पर गौर करने से पता चलता है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सबसे अधिक 12 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसके बाद गठबंधन में चुनाव लड़ रहे भारतीय राष्ट्रीय लोकदल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने संयुक्त रूप से 11 महिला उम्मीदवारों, जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 10 महिला उम्मीदवारों का टिकट दिया है।
जननायक जनता पार्टी (जजपा) और आजाद समाज पार्टी (आसपा) का गठबंधन ने केवल आठ पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। आम आदमी पार्टी (आप) की 90 उम्मीदवारों की सूची में 10 महिलाएं शामिल है। हरियाणा विधानसमा के रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2000 से अभी तक हुए 5 विधानसभा चुनाव में कुल 47 महिलाएं राज्य में विधायक चुनी गई।
लैंगिक अनुपात के लिए बदनाम है हरियाणा
हरियाणा अपने विपम लैंगिक अनुपात के लिए बदनाम है। वर्ष 2023 में यहां प्रति 1,000 लड़कों पर 916 लड़कियां थीं। वर्ष 2019 के चुनाव में 104 महिला उम्मीदवार मैदान में थी, जिनमें निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में सबसे अधिक 116 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं जिनमें से 13 ने जीत दर्ज की थी। 2019 के चुनाव में यह संख्या घटकर 9 रह गई। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए मतदान पांच अक्टूबर को होगा।
परिणाम आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की अनुमति देने वाला विधेयक पारित हो गया, लेकिन इसे लागू 2029 में किया जाएगा जो महिलाओं के साथ मजाक ही है।