Gen Z की खूनी क्रांत‍ि… नेपाल में नई पीढ़ी ने किया बगावत, वामपंथी ओली की ‘तानाशाही’ के खिलाफ क्यों भड़के युवा, गोलीबारी

सरकारों ने जब जब तानाशाही की, छात्रों ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। बांग्लादेश में शेख हसीना के बाद भारत के एक और पड़ोसी देश नेपाल में ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं ने बगावत कर दी है। नेपाल की राजधानी काठमांडू में युवा बेकाबू हैं और ऐसी आशंका है कि वे चीन समर्थक केपी ओली की सरकार को गिराकर ही दम लें। राजधानी काठमांडू में हजारों छात्र-युवा, सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ भीषण प्रदर्शन कर रहे हैं। कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने लाठिया भांजी हैं, जिसमें अभी तक 16 लोगों की अभी तक मौत की रिपोर्ट है। सबसे ज्यादा हैरानी की बात छात्र इस बात को लेकर जता रहे हैं कि देश में तमाम अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए हैं, लेकिन चीनी सोशल मीडिया एक्टिव हैं। इस प्रदर्शन को शुरू करने के लिए चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा लिया गया है।

नेपाल में अचानक शुरू हुए इस भीषण प्रदर्शन के पीछे की वजह ओली सरकार का हालिया फैसला है। सरकार ने नियमों का हवाला देकर अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की, इसलिए यह कार्रवाई करनी पड़ी। लेकिन छात्रों और युवा वर्ग का आरोप है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। युवाओं का कहना है सरकार अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए उनके आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।

नेपाल में अचानक क्यों शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन?
दरअसल, साल 2020 से ही नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया कंपनियों के बिना लाइसेंस विज्ञापन और सामग्री प्रसारण को लेकर कई याचिकाएं लंबित थीं। पिछले दिनों नेपाली सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि सभी विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म देश में ऑपरेट करने के लिए कानूनी अनुमति और रजिस्ट्रेशन करवाएं और सरकार ऐसा करवाना सुनिश्चित करें। इसके बाद नेपाल के सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुङ के नेतृत्व में पिछले दिनों एक हाईलेवल बैठक की गई। जिसमें सभी गैर-रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्स को सात दिन का अल्टीमेटम दिया गया। बावजूद इसके डेडलाइन बीतने के बाद भी फेसबुक, मेटा, ट्विटर (एक्स), यूट्यूब और लिंक्डइन जैसी कंपनियों ने नेपाल सरकार से कोई बातचीत नहीं की।

जिससे गुस्साए केपी शर्मा ओली की सरकार ने 4 सितंबर को तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अचानक लगे बैन ने युवाओं को हैरान कर दिया। आज के जमाने में जब लोगों के हाथों से एक सेकंड का फोन नहीं छूट पाता, वहां बिना सोशल मीडिया के जिंदगी की कल्पना करना भी मुश्किल है। पढ़ाई, नौकरी, कारोबार, मनोरंजन और यहां तक कि आपसी बातचीत में भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पूरी तरह से हावी हैं। इसीलिए जब अचानक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा तो युवाओं का आक्रोश फूट पड़ा।

सरकार के खिलाफ ये गुस्सा किधर जाएगा?
श्रीलंका और बांग्लादेश में हम देख चुके हैं कि आंदोलनकारियों ने सीधे संसद पर हमला किया था। बांग्लादेश में भी यही मॉडल है। नेपाली मीडिया से बात करते हुए यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली छात्र मोनिका मल्ला ने कहा कि “ब्राउजर से फेसबुक खोलने की कोशिश की, लेकिन काम नहीं किया। ऐप पर अभी तक चल रहा है, लेकिन ये भी जल्द बंद हो जाएगा।” सोशल मीडिया पर बैन लगने के बाद मची बेचैनी ने गुस्से का लावा भड़का दिया। नेपाल के युवाओं ने टिकटॉक, रेडिट और वीचैट जैसे वैकल्पिक प्लेटफॉर्म के जरिए आंदोलन के लिए लोगों को जुटाना शुरू किया और धीरे धीरे लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो गया। हजारों की संख्या में छात्रों ने संसद को घेर लिया। काठमांडू के मैतीघर मण्डला से संसद भवन तक विशाल मार्च निकाला गया। हजारों की संख्या में युवाओं ने राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए और “भ्रष्टाचार बंद करो”, “सोशल मीडिया बैन हटाओ” जैसे नारे लगाते हुए संसद का घेराव किया।

हालात तब बिगड़े जब प्रदर्शनकारियों ने संसद के मुख्य द्वार का शीशा तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की और गेट पर आग लगा दी। पुलिस ने स्थिति काबू में लाने के लिए पहले पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले छोड़े, लेकिन भीड़ बेकाबू रही। आखिरकार सुरक्षा बलों ने हवाई फायरिंग और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया। झड़पों में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं, जिनमें तीन पत्रकार भी शामिल हैं। सिविल सर्विस अस्पताल ने पुष्टि की है कि एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों का इलाज जारी है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि घायल प्रदर्शनकारियों को एंबुलेंस और मोटरसाइकिलों से अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। हालात बेकाबू होते देख सरकार ने बनश्वेर और आसपास के संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया है।

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