
कांग्रेस नेता देवेन्द्र यादव ने दिल्ली विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को छात्रों पर आर्थिक बोझ बताया है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में फीस लगभग दोगुनी हो गई है.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने दिल्ली विश्वविद्यालय में इस वर्ष भी यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फंड और सुविधा एवं सर्विस चार्ज के नाम पर की गई फीस वृद्धि को छात्रों पर अनुचित आर्थिक बोझ करार दिया है. उन्होंने कहा कि बीते तीन वर्षों में यह वृद्धि लगभग दुगनी हो चुकी है, जबकि शिक्षकों ने भी इसका विरोध किया है. यादव ने आरोप लगाया कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी फीस वसूली को रोके, न कि छात्रों से अतिरिक्त पैसे वसूले जाएं. उन्होंने बीजेपी के के.जी. से पी.जी. तक मुफ्त शिक्षा के वादे को भी कटघरे में खड़ा किया.
देवेन्द्र यादव ने कहा कि वर्ष 2025 में प्रत्येक छात्र से यूनिवर्सिटी डेवलपमेंट फंड और सुविधा एवं सर्विस चार्ज के रूप में 1500-1500 रुपये यानी कुल 3000 रुपये की अतिरिक्त वसूली की जाएगी. उन्होंने कहा कि, इस वृद्धि से सबसे ज़्यादा असर दलित, वंचित, महिलाओं, मजदूरों, किसानों, अल्पसंख्यकों और ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों पर पड़ेगा. उनका आरोप था कि बीजेपी शिक्षा का निजीकरण करके गरीब छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के रास्ते बंद कर रही है.
बीजेपी के नारों को बताया खोखला
कांग्रेस नेता ने बीजेपी के “पढ़ेगा इंडिया तभी बढ़ेगा इंडिया” और “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे नारों को भी खोखला बताया. उन्होंने कहा कि अगर सरकारी संस्थानों की फीस इतनी बढ़ा दी जाएगी तो एक आम भारतीय परिवार अपने बच्चों, खासकर बेटियों को कैसे पढ़ा पाएगा?
उन्होंने चेताया कि यह मानसिकता कि “बेटे को पढ़ाएं, बेटी को नहीं”, फीस वृद्धि के बाद और मजबूत हो सकती है. इसका सीधा असर गरीब परिवारों की बेटियों की उच्च शिक्षा पर पड़ेगा.
कॉलेजों को मजबूरन लेनी पड़ रही है महंगी फंडिंग
यादव ने दावा किया कि दिल्ली विश्वविद्यालय अपने कॉलेजों के लिए आधारभूत संरचना नहीं बनवा रहा, जिससे कॉलेजों को हायर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी से फंडिंग लेनी पड़ रही है. इस वजह से कॉलेजों को छात्रों से डेवलपमेंट फंड और अन्य चार्ज के नाम पर भारी-भरकम फीस वसूलनी पड़ रही है. उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को एक सोची-समझी साजिश बताया.
बीटेक से पीएचडी तक सभी को झटका
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में बीटेक, बीए, बीकॉम और पीएचडी जैसे पाठ्यक्रमों की फीस में 3.70 प्रतिशत से 60.22 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी की गई है. उदाहरणस्वरूप बीटेक प्रथम वर्ष की फीस 3.70 प्रतिशत बढ़ने के बाद 2.16 लाख रुपये से 2.24 लाख रुपये हो गई है. वहीं पीएचडी की फीस में 60.22 प्रतिशत तक की अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है. यह शिक्षा को महंगा कर गरीब छात्रों के लिए उच्च शिक्षा पाना असंभव बनाने वाला कदम है.