
अब पुरानी बसें सिर्फ यादों का हिस्सा नहीं रहेंगी, बल्कि वे कश्मीरी गेट आईएसबीटी पर चमचमाती दुकानों में तब्दील होंगी। दिल्ली परिवहन अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (डीटीआईडीसी) ने पुरानी बसों को व्यावसायिक उपयोग के लिए लाइसेंस देने का फैसला लिया है।
साथ ही, सिविल लाइंस और शालीमार बाग में बस क्यू शेल्टरों का कायाकल्प करने की योजना भी शुरू की गई है। ये पहल न केवल दिल्लीवासियों को नए व्यावसायिक अवसर देगी, बल्कि यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं भी सुनिश्चित करेगी।
कश्मीरी गेट आईएसबीटी नए रंग-रूप में नजर आएगा। डीटीआईडीसी ने यहां खड़ी पुरानी बसों के अगले और पिछले हिस्से में दुकानों को व्यावसायिक उपयोग के लिए लाइसेंस देने का निर्णय लिया है। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक बस के अगले हिस्से में दुकान ए और पिछले हिस्से में दुकान बी खोली जाएंगी।
दुकानों का आरक्षित मूल्य 1.5 लाख रुपये और बयाना (अग्रिम जमा राशि) 3.5 लाख रुपये रखा गया है। दोनों की लाइसेंस की अवधि तीन माह की होगी। डीटीआईडीसी के मुताबिक, अगर यह परियोजना सफल रही, तो दिल्ली के अन्य आईएसबीटी पर भी ऐसी दुकानें खुलेंगी, जिससे पुरानी बसों का रचनात्मक उपयोग बढ़ेगा।
पर्यावरण के लिए टिकाऊ और रोजगार के लिए बेहतर : पुरानी बसों को दुकानों में बदलने का यह विचार न केवल पर्यावरण के लिए टिकाऊ है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और सुविधाओं का नया द्वार भी खोलेगा। यह पहल दिल्ली में स्टार्टअप और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
सिविल लाइंस व शालीमार बाग में बस क्यू शेल्टर का होगा कायाकल्प
डीटीआईडीसी सिविल लाइंस और शालीमार बाग में बस क्यू शेल्टरों को और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहा है। 28.84 लाख रुपये की लागत से शुरू इस परियोजना को 30 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य है। इससे यात्रियों को बारिश, धूप व भीड़ से राहत मिलेगी। साथ ही, सार्वजनिक परिवहन का अनुभव और बेहतर होगा। ये दोनों परियोजनाएं दिल्ली के शहरी बुनियादी ढांचे को नया आयाम देंगी।