हरियाणा के हिसार में इलाज के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है। इस मामले में गीतांजली अस्पताल के संचालक डॉ.कमल किशोर और डॉ. यशपाल सिंघल के खिलाफ धारा 337,120 बी IPS के तहत केस दर्ज हो गया है।
सिविल सर्जन और पीजीआई रोहतक की जांच में सामने आया है कि डॉक्टर यशपाल सिंगला के पास तो न तो यूरोलॉजी एंडोस्कोपी का अनुभव है और न ही डीएनबी/एमसीएच, यूरोलॉजी की कोई डिग्री। रिकॉर्ड के अनुसार रोगी को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और सेप्सिस के लक्षण थे।
मरीज को मल्टीस्पेशियलटी अस्पताल में रेफर किया जाना चाहिए था। मगर गीतांजली अस्पताल के डॉक्टर ने बिना अनुभव और डिग्री के ऑपरेशन करवा दिया, जिससे मरीज की हालत बिगड़ गई।
इसके बाद गीतांजली अस्पताल के डॉक्टरों ने इलाज से हाथ खड़े कर दिए और मरीज को गुरुग्राम या फिर दिल्ली के अस्पताल में इलाज करवाने की सलाह दी। गांव अटेला चरखी दादरी निवासी भूपेंद्र कुमार ने 2018 में गीतंजली अस्पताल से ऑपरेशन करवाया था।
इलाज में बिकी जमीन जायदाद
मरीज भूपेंद्र ने बताया कि 2018 में उसने जब ऑपरेशन करवाया तो वो बेरोजगार था। इसके बावजूद महंगा इलाज करवाया। हिसार के डॉक्टरों ने केस बिगाड़ दिया और मजबूर होकर गुरुग्राम में मेदांता में इलाज करवाया। इलाज में करीब 20 लाख रुपए खर्च हो गए। इलाज में उसकी जमीन जायदाद सब बिक गए।
मरीज भूपेंद्र का बयान –
भूपेंद्र ने बताया कि ” मैं और मेरे हिसार में रहने वाले रिश्तेदार डॉक्टर कमल किशोर से तब से इलाज करवा रहे हैं जब से वह जिंदल अस्पताल में प्रैक्टिस करते थे। 2018 में मुझे लेफ्ट साइड में किडनी में दर्द था।
मैं गीतांजली अस्पताल में डॉक्टर कमल किशोर की ओपीडी में आया। मेरे टेस्ट करवाए गए। इसके बाद डॉक्टर कमल किशोर ने रिपोर्ट देखकर कहा कि आपकी बाइपास सर्जरी करानी पड़ेगी। इसके बाद मुझे सर्जन डॉ. यशपाल सिंगला के पास भेज दिया गया।
ओटी रूम में डॉक्टर ने किया मिसबिहेव-
मरीज भूपेंद्र ने बताया कि “ओटी रूम में डॉ. यशपाल सिंगला का बिहेव गैर जिम्मेदाराना था। उन्होंने मिस बिहेव किया और गलत तरीके से बात की। ऑपरेशन करने से पहले ओटी रूम में ही उनके बार-बार फोन बज रहे थे। इसके बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन किया मगर यूरिन ब्लेडर को डैमेज कर दिया और स्टंट जहां थे वहीं छोड़ दिए। इसके बाद खून निकलना शुरू हो गया।
डॉ.खून चढ़ाते गए और मेरा खून निकलता गया। फिर ब्लड निकलना बंद हो गया क्योंकि खून की गांठ जम गई। उसके बाद डॉक्टर कमल किशोर ने कहा कि आपका केस क्रिटिकल है और आपको गुरुग्राम या दिल्ली लेकर जाना पड़ेगा।
गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मैंने अपना इलाज करवाया। मेरे केस देखते ही मेदांता के डॉक्टर राकेश ने कहा कि आपका केस तो बिगाड़ दिया गया है। डॉक्टर राकेश ने स्पेशल डॉ. यशपाल से बात की और कहा कि आपने मरीज की जान जोखिम में डाल दी। इसके बाद मुझे ऑपरेट करके पेट से खून की गांठ निकाली गई।
कैसे लड़ी लड़ाई–
पीड़ित मरीज भूपेंद्र ने बताया कि मेदांता के डॉक्टरों ने बताया कि उनके इलाज में लापरवाही बरती गई है। इसके बाद 2019 में हिसार सिविल सर्जन कार्यालय में शिकायत की। सिविल सर्जन की जांच में सामने आया कि मेडिकल निगलेजंसी हुई है। फिर सिविल सर्जन ने पीजीआई रोहतक को जांच के बारे में लिखा।
इसके बाद वहां के डॉक्टरों ने जांच की तो उन्होंने भी रिपोर्ट में माना की मेडिकल निगलेजंसी हुई है। मरीज ने बताया कि गीतांजली अस्पताल से मेडिकल हिस्ट्री लेने के लिए सीएम विंडो लगाई और बाद में RTI तक लगानी पड़ी तक जाकर सारी रिपोर्ट हाथ लगी। इसके बाद हिसार सीएमओ ने हिसार एसपी को डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के बारे पत्र लिख गया जिसके आधार पर 6 डॉक्टरों पर कार्रवाई हुई है।