हिजबुल्ला के बाद अब हूती विद्रोहियों पर टूट पड़ा इजरायल.

हिजबुल्ला के बाद अब इजरायल हूती विद्रोहियों के पीछे पड़ गया है, ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर इन दोनों की दुश्मनी की कहानी कितनी पुरानी है.

इजरायल इस समय चारों ओर युद्ध कर रहा है. वो अकेले ईरान, हिजबुल्लाह, हमास और यमन के हूती विद्रोहियों पर कहर बरपा रहा है. अब खबर सामने आ रही है कि इजरायल ने हिजबुल्लाह पर हमला करने के बाद यमन के हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमला किया है. एक बयान ने खुद इजरायल ने इस बात का खुलासा किया कि रविवार दोपहर को इजरायली एयरफोर्स के लड़ाकू विमानों ने यमन के बंदरगाह शहर होदेइदाह में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर दर्जनों हमले किए हैं. इस बीच चलिए जानते हैं कि आखिर इजरायल और हूती विद्रोहियों के बीच दुश्मनी कितनी पुरानी है.

कौन हैं हूती विद्रोही?

हूती विद्रोही यमन में सक्रिय हैं. ये मूल रूप से ज़ैदी शिया मुसलमानों के एक समूह से जुड़े हैं. उनका उद्देश्य यमन में अपने राजनीतिक और धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना है. 2014 में हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया था, जिससे एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया था. यह विद्रोह यमन के राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी की सरकार के खिलाफ था, जो सऊदी अरब का समर्थक था.

इजरायल और हूती विद्रोहियों के बीच दुश्मनी की जड़ें

इजरायल और हूती विद्रोहियों के बीच दुश्मनी का मुख्य कारण क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और राजनीतिक विचारधाराएं हैं. हूती विद्रोही ईरान के समर्थक माने जाते हैं, जो इजरायल के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा हैं. ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे टकराव ने इस दुश्मनी को और भी गहरा किया है.

गौरतलब है कि हूती विद्रोही शिया मुसलमान हैं, जबकि इजरायल के आसपास के अधिकांश देश सुन्नी हैं। इस धार्मिक विभाजन ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. वहीं इजरायल ने हमेशा ईरान के बढ़ते प्रभाव को अपने लिए खतरा माना है। हूती विद्रोही, जो ईरान से हथियार और समर्थन प्राप्त करते हैं, इजरायल के लिए विशेष रूप से चिंताजनक हैं.

दुनियाभर में इजरायल और हूती विद्रोहियों की दुश्मनी का प्रभाव

इजरायल ने हमेशा ईरान के बढ़ते प्रभाव को अपने लिए खतरा माना है. हूती विद्रोही, जो ईरान से हथियार और समर्थन प्राप्त करते हैं, इजरायल के लिए खास रूप से चिंताजनक हैं. बता दें कि सऊदी अरब ने हमेशा से हूती विद्रोहियों के खिलाफ इजरायल के रुख का समर्थन किया है। ऐसे में इजरायल का यह कदम सऊदी अरब के साथ उनके संबंधों को और मजबूत कर सकता है. वहीं ईरान ने इजरायल के इस कदम की कड़ी निंदा की है और इसे एक उकसावे के रूप में देखा है. यह तनाव क्षेत्र में और ज्यादा युद्ध की संभावना को बढ़ा सकता है. हालांकि युद्ध बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं बढ़ गई हैं. कई देश इस बात की आशंका जता रहे हैं कि यह संघर्ष न केवल यमन, बल्कि पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता पैदा कर सकता है.

गौरतलब है कि इजरायल द्वारा हूती विद्रोहियों पर की गई कार्रवाई क्षेत्रीय राजनीति में एक खास मोड़ है. इस दुश्मनी की कहानी सदियों पुरानी है और इसमें कई कारण शामिल हैं. इजरायल, जो अपने सुरक्षा हितों को प्राथमिकता देता है, ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी प्रकार के खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगा.

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