यूपी: विधानसभा में घरौनी कानून पास, अब गांवों की जमीन पर घर बनाने के लिए बैंक दे सकेंगे लोन

विधानसभा में मंगलवार को उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी विधेयक, 2025 यानी घरौनी कानून पास हो गया। इस कानून की अधिसूचना जारी होने पर गांवों में घर बनाने के लिए बैंकों से लोन ले सकेंगे। आबादी की भूमि पर स्वामित्व रिकॉर्ड में संशोधन भी कराया जा सकेगा।

ग्रामीण क्षेत्र में आबादी की भूमि की खरीद, बिक्री और नामांतरण जैसी प्रक्रियाओं को आसान बनाने और मालिकाना हक को सुरक्षित करने के लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है। अब घरौनी को ही आधिकारिक दस्तावेज माना जाएगा। वरासत, विक्रय या अन्य कारणों से घरौनी में नाम बदलने और सुधार की प्रक्रिया आसान हो गई। इतना ही नहीं घरौनी में किसी गलती के सुधार, मोबाइल नंबर और पते को अपेडट करने का प्रावधान भी किया गया है।

इसमें भारत सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन तकनीक से तैयार किए गए ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के स्वामित्व अभिलेखों को कानूनी मान्यता देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कदम बढ़ाया है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इस कानून के लागू होने से घरौनी अभिलेखों का संरक्षण, समय-समय पर नया रिकॉर्ड दर्ज करना और कानूनी रूप से जरूरी प्रबंधन किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि स्वामित्व योजना का उद्देश्य गांवों में सही सर्वे कर लोगों की आवासीय संपत्ति के पक्के कागजात तैयार करना है। इससे ग्रामीण अपनी जमीन और मकान के आधार पर बैंक से लोन और अन्य आर्थिक सुविधाएं ले सकेंगे। इस योजना से भूमि के सही रिकॉर्ड, संपत्ति कर तय करने, जीआईएस नक्शे बनाने और ग्राम पंचायतों की विकास योजनाओं को बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद मिलेगी।

1.10 लाख गांव कानून के दायरे में
उन्होंने बताया कि इस योजना को लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच एमओयू हो चुका है। प्रदेश के करीब 110344 ग्रामों को योजना के अंतर्गत अधिसूचित किया गया। इनमें से गैर-आबाद ग्रामों को छोड़कर 90573 ग्रामों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है। 9 मई 2025 तक करीब 1 करोड़ 6 लाख से अधिक घरौनियां तैयार की गई हैं। इनमें से 1 करोड़ 1 लाख से अधिक घरौनियों का वितरण ग्रामीणों को किया जा चुका है।

संशोधन के नियम किए गए स्पष्ट
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि घरौनी बनने के बाद समय के साथ विरासत, उत्तराधिकार, बिक्री जैसे कारणों से उनमें नाम बदलने और संशोधन की जरूरत पड़ती है, लेकिन अभी तक इसके लिए स्पष्ट नियम नहीं थे। इसी कमी को दूर करने के लिए राजस्व परिषद के प्रस्ताव पर यह विधेयक लाया गया है।

डीएम होंगे अभिलेख अधिकारी
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि ग्रामीण आबादी का अभिलेख घरौनी कहलाएगा, जिसमें स्वामी का नाम-पता, भूखंड का ब्योरा, क्षेत्रफल, रेखाचित्र और स्थानिक जानकारी दर्ज होगी। किसी ग्राम की सभी घरौनियों का संकलन घरौनी रजिस्टर होगा और एक अलग आबादी मानचित्र भी तैयार किया जाएगा। सर्वे और अभिलेख तैयार करने के लिए सर्वेक्षण व अभिलेख अधिकारियों और अधिसूचना जारी करने की स्पष्ट प्रक्रिया तय की गई है। इस कानून के तहत डीएम को हर जिले में अभिलेख अधिकारी नामित किया जाएगा।

संपत्ति विवादों में आएगी कमी
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति विवादों में कमी, अभिलेखों में पारदर्शिता, बेहतर कराधान व्यवस्था और योजनाबद्ध विकास को मजबूती मिलेगी। यह कानून ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के लिए ऐतिहासिक और दूरगामी प्रभाव वाला कदम साबित होगा।

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