
Nitish Cabinet 2025: बिहार में मंत्रिमंडल गठन के साथ उद्योग मंत्रालय पर फिर अपशकुन की चर्चा तेज हुई. पिछले तीन मंत्रियों की कुर्सी इस विभाग के बाद गई. अब सबकी नजर नए उद्योग मंत्री पर है.
बिहार में नीतीश कुमार के दसवें मंत्रिमंडल का शपथग्रहण पूरा हो चुका है. अब सभी की निगाहें विभागों के बंटवारे पर टिकी हैं. हर कोई यह जानने को उत्सुक है कि किस मंत्री को कौन-सा मंत्रालय मिलेगा. कई पुराने चेहरे अपनी कुर्सी बचाने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, तो कुछ नए मंत्री बड़े विभाग मिलने की उम्मीद में हैं.
जानकारी के अनुसार, इसी बीच एक मंत्रालय ऐसा है, जिसकी चर्चा सिर्फ कामकाज से नहीं, बल्कि उसके साथ जुड़े कथित अपशकुन की वजह से हो रही है.
तर्क से अधिक प्रभावशाली माना जाता है जातीय समीकरण
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण और राजनीतिक मान्यताएं अक्सर तर्क से अधिक प्रभावशाली मानी जाती हैं. यही वजह है कि नीतीश सरकार बनते ही एक बार फिर उद्योग मंत्रालय को लेकर पुराने अंधविश्वास और मिथक उभर आए हैं. माना जाता है कि इस मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले नेता को राजनीतिक तौर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है या उसकी कुर्सी छिन जाती है. हाल के तीन बड़े राजनीतिक घटनाक्रम इस विश्वास को और मजबूत करते हैं.
2021 में शाहनवाज को दिया गया था उद्योग विभाग
सबसे पहले बात करें बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन की. वर्ष 2021 में उन्हें विधान परिषद के रास्ते मंत्रिमंडल में शामिल कर उद्योग मंत्रालय दिया गया था. उनके काम की सराहना भी होती रही, लेकिन 2022 में नीतीश का एनडीए से महागठबंधन में लौटना शाहनवाज के लिए भारी पड़ा और उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा. उनका वह वीडियो आज भी चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा था “प्लेन में बैठा तो मंत्री, उतरते-उतरते भूतपूर्व हो गया.”
2022 में समीर महासेट को भी मिला था विभाग
इसके बाद RJD नेता समीर महासेठ को 2022 में उद्योग मंत्रालय मिला, लेकिन 2024 में नीतीश कुमार के फिर से NDA में आने पर उनकी भी कुर्सी चली गई. इतना ही नहीं, समीर महासेठ हालिया चुनाव में भी मधुबनी सीट से हार गए. तीसरा उदाहरण नीतीश मिश्रा का है. उन्हें भी 2024 में उद्योग मंत्रालय मिला और उन्होंने एक साल में अच्छा काम भी किया, पर इस बार जीतने के बावजूद वे मंत्री नहीं बन पाए. इससे उद्योग मंत्रालय पर लगे ‘अपशकुन’ की मान्यता और गहरी हो गई है.
कठिनाइयों में घिर जाते हैं वित्त मंत्रालय के मंत्री
उद्योग मंत्रालय के अलावा बिहार की राजनीति में वित्त मंत्रालय भी ऐसा विभाग माना जाता है जहां अक्सर मंत्री कठिनाइयों में घिर जाते हैं. सुशील मोदी से लेकर तारकिशोर सिन्हा तक के उदाहरण इसका प्रमाण हैं. हालांकि, मौजूदा डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी इस मिथक को तोड़ते नजर आ रहे हैं, क्योंकि 2024 से वे वित्त विभाग देख रहे हैं और नई सरकार में भी यह विभाग उनके पास ही रहने की संभावना है. अब बड़ी बात यह है कि नया उद्योग मंत्री कौन बनेगा और क्या वह इस पुराने मिथक को तोड़ पाएगा. बिहार की राजनीति में यही सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में है.



