
पंजाब में छह पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने की तैयारी चल रही है। राज्य की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करवाने के लिए इन जातियों की ओर से आए प्रस्ताव राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास विचाराधीन हैं। इन प्रस्तावों के बाद सरकार ने जिलों में इससे संबंधित सर्वे शुरू करवा दिया है।
इन सभी जातियों के संदर्भ में जिलों के उपायुक्तों की ओर से रिपोर्ट बनाई जा रही है। कुछ जिलों से सर्वे रिपोर्ट सरकार के पास पहुंच चुकी है जबकि अन्यों से आनी बाकी है। अपनी-अपनी रिपोर्ट में सभी उपायुक्त इन प्रस्तावों पर अनुशंसा व गैर अनुशंसा भी करेंगे। उसके बाद ही सरकार अंतिम फैसला लेगी। जो जातियां ओबीसी सूची में आना चाहती हैं उनमें ट्रांसजेंडर समेत राजभर, मुस्लिम रतिफ राजपूत, कुरैशी-कसाब-कसाई, जाट, आचार्य-चारज शामिल हैं।
इन प्रस्तावों से पंजाब के अफसरों और राज्य पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन हंसराज गंगाराम अहीर को अवगत करवाया है। इनके अलावा पंजाब में कंबोज और सिख राजपूत बिरादरी के एक गुट ने राज्य आयोग के समक्ष दावा किया है कि उनकी बिरादरी आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है इसलिए उन्हें ओबीसी सूची से बाहर निकालकर सामान्य सूची में डाला जाए। इन्हीं बिरादरियों का दूसरा धड़ा इसका विरोध कर रहा है। सरकार इन दोनों जातियों का भी सभी जिलों में सर्वे करवा रही है लेकिन चूंकि दोनों बिरादरियों के केस अदालत में विचाराधीन है लिहाजा अभी इस पर फैसला लंबित ही रखा जाएगा।
कुछ को राज्य में लाभ नहीं तो किसी को केंद्र में नहीं
पंजाब में 63 पिछड़ी जातियां केंद्र व राज्य दोनों की ओबीसी सूची में शामिल हैं लेकिन संन्यासी, साधु, संन्यासी बावा, बुजरूस, मेहर राजपूत, सोनी राजपूत, गोसाईं-गोस्वामी, यादव-अहीर व सिख राजपूत, जातियां ऐसी हैं जो राज्य की ओबीसी सूची में तो शामिल हैं मगर केंद्र की सूची में नहीं। इसी तरह झिंडवर, धीवर, लवाणा, घुमियार, प्रजापति, चिंबे, चिप्पी, सैफी, भहार व राजभर जातियां केंद्र की ओबीसी सूची में तो हैं लेकिन पंजाब की सूची से बाहर हैं। इन जातियों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन हंसराज गंगाराम को बताया है कि केंद्र व राज्य दोनों की ओबीसी सूची में शामिल न होने की वजह से उनके लोगों को ओबीसी आरक्षण का पूरी तरह लाभ नहीं मिल पा रहा है। चेयरमैन ने पंजाब को इनके प्रस्ताव राज्य पिछड़ा आयोग के माध्यम से राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को भिजवाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी पूछा है कि जो सूचियां केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल हैं उन्हें राज्य की सूची में शामिल करने में क्या दिक्कत पेश आ रही है।
वर्षों से ठीक नहीं हुई वर्तनी की गलती
सूबे की 16 पिछड़ी जातियां ऐसी हैं, जिनके लोगों को जाति में वर्तनी की गलती की वजह से परेशान होना पड़ रहा है। इन जातियों के वर्तनी केंद्र की ओबीसी सूची में कुछ और हैं जबकि राज्य की सूची में अलग हैं। इसी वजह से इन लोगों को जाति प्रमाणपत्र बनवाने व अन्य दस्तावेजी कार्य में बहुत परेशानी होती है। इस गलती को दुरुस्त करवाने के लिए बरसों से कागजी कार्रवाई ही चल रही है। इन जातियों में रिहारा, रायगर, गोरखा, कुम्हार, नाई, धोबी, बाट्टेरहा, चांग, टांक, कश्यप राजपूत, गडरिया, तरखान, रचबंद, कुचबंद, सिंघीवाल, सुनियार-स्वर्णकार शामिल हैं।