
Maharashtra News: मुंबई मराठी साहित्य संघ और बीजेपी पोषित बिल्डरों के कथित कब्जे को लेकर संजय राउत ने तीखा हमला किया है. उनका कहना है कि मराठी संस्कृति और भाषा की सुरक्षा खतरे में है.
मुंबई में शिवसेना के नेता संजय राउत ने मराठी सांस्कृतिक संस्थाओं पर बीजेपी और बिल्डर लॉबी द्वारा कथित कब्जे पर तीखा हमला किया है. यूबीटी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित अपने लेख “रोखठोख: मराठी मुंबई का क्या होगा?… साहित्य संघ का किला ढह रहा है!” के माध्यम से राउत ने सीधे सवाल उठाया कि क्या मुंबई के बिल्डर अब मराठी साहित्य संघ जैसी ऐतिहासिक संस्थाओं को भी अपने कब्जे में लेना चाहते हैं.
मुंबई मराठी साहित्य संघ की स्थापना 1935 में डॉ. अमृत नारायण भालेराव द्वारा की गई थी और यह मराठी भाषा, साहित्य और कला के संरक्षण का प्रमुख केंद्र रहा है. राउत ने आरोप लगाया कि हाल के चुनावों में डुप्लिकेट वोटिंग और अन्य अनियमितताओं के माध्यम से साहित्य संघ में बीजेपी के समर्थक मतदाता शामिल हुए.
चुनावी विवाद और भूमि अधिग्रहण का आरोप
लेख में राउत ने मंगलप्रभात लोढ़ा और गौतम अडानी जैसी संपन्न व्यक्तियों के मुंबई में भूखंडों पर नियंत्रण का मुद्दा उठाया. कहा गया कि साहित्य संघ, मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय और ‘बेस्ट’ कामगार सेना जैसी संस्थाओं में बीजेपी पोषित बिल्डरों की नजरें हैं. ‘बेस्ट’ चुनाव में भी 12,500 मत पड़े, जिसमें कई अवैध और खरीदे गए वोट शामिल थे.
राउत ने बताया कि बिल्डर प्रसाद लाड ने गरीब कर्मचारियों को पांच-पांच हजार रुपये देकर वोट खरीदे और मराठी मतदाताओं को विभाजित किया. उनका आरोप है कि ये सभी प्रयास मराठी संस्थाओं की जमीन और अधिकार हथियाने की रणनीति का हिस्सा हैं.
सांस्कृतिक विरासत और मराठी पहचान पर खतरा
संजय राउत ने कहा कि मुंबई मराठी संस्कृति और रंगमंच का केंद्र रहा है. डॉ. भाऊ दाजी लाड, गंधर्व नाटक मंडली, पेंढारकर के ललित कला दर्शन और मुंबई उच्च न्यायालय की मराठी परंपराएं आज भी जीवित हैं. राउत ने चेतावनी दी कि अगर ऐसी कोशिशें जारी रहीं, तो मराठी समाज की सांस्कृतिक विरासत खतरे में पड़ सकती है.
उन्होंने नारायण राणे के बयान का भी जिक्र किया, जिन्होंने मराठी लोगों के योगदान को खारिज किया और बीजेपी की भाषा अपनाई. राउत ने इसे मराठी समाज और संस्कृति के लिए घातक बताया.
केतकर के विचार और मराठी भाषा का संरक्षण
लेख में संजय राउत ने 1928 में ज्ञानकोशकार श्रीधर वेंकटेश केतकर के भाषण को उद्धृत किया, जिसमें मराठी साहित्य और भाषा की सुरक्षा पर जोर दिया गया था. केतकर ने कहा था कि राज्य और प्रशासन का कामकाज मराठी में होना चाहिए और शिक्षित लोग ऐसी सरकार को सत्ता में नहीं आने दें, जो मराठी भाषा और साहित्य के लिए हानिकारक हो.
राउत ने चेतावनी दी कि अगर महाराष्ट्र की सत्ता इन संस्थाओं और भाषाई अधिकारों की रक्षा नहीं करेगी, तो मुंबई और मराठी समाज की सांस्कृतिक पहचान संकट में होगी. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वर्तमान सत्ता और बिल्डर लॉबी ऐसे प्रयासों को रोकने में सक्षम है, या सभी मराठी संस्थाएं साहित्य संघ जैसी स्थिति का सामना करेंगी.