
दिल्ली की चिड़ियाघर में एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा (बर्ड फ्लू) के फैलने की पुष्टि के बाद प्रशासन और पशु चिकित्सकों में हड़कंप मचा हुआ हैष वायरल से बचाव के लिए सख्त निगरानी और सुरक्षा उपाय बढ़ाए गए हैं। रोजाना दो बार सर्वेक्षण हो रहा है। वहीं बाड़ों, तालाबों, और प्रवासी पक्षियों के भोजन क्षेत्रों की साफ-सफाई और कीटाणु नाशक छिड़काव किया जा रहा है। चिड़ियाघर के कर्मचारी मास्क, दस्ताने, और सुरक्षात्मक कपड़े पहनकर काम कर रहे हैं, और सीसीटीवी से भी निगरानी की जा रही है।
आज तक पानी के पक्षियों या प्रवासी पक्षियों में कोई मौत नहीं हुई है। तीन पेंटेड स्टॉर्क और एक ब्लैक-नेक्ड इबिस को इलाज और निगरानी के लिए अलग रखा गया है। अब तक छह पेंटेड स्टॉर्क और दो ब्लैक-नेक्ड इबिस की मौत पानी के बाड़े में हुई। जबकि चार प्रवासी पेंटेड स्टॉर्क तालाबों में मरे। इनमें से दो पेंटेड स्टॉर्क और दो इबिस के नमूने लिए गए हैं।
सुरक्षा के मद्देनजर चिड़ियाघर को पूरी तरह से सील कर दिया गया है और आगंतुकों के प्रवेश पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी गई है। चिड़ियाघर में मौजूदा समय में 1350 से अधिक पशु-पक्षी मौजूद हैं।
प्रशासन ने सभी जानवरों के साथ-साथ हाल ही में जन्मे एक शावक के सैंपल भी जांच के लिए लिए हैं। ये सैंपल भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भेजे जाएंगे जहां विशेषज्ञ गहन जांच करेंगे। विशेष रूप से शावक को पशु चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है ताकि उसे किसी तरह का खतरा न हो।
बर्ड फ्लू के प्रसार को रोकने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं। कर्मचारियों द्वारा पिंजरों और बाड़ों के आसपास नियमित रूप से कीटाणुनाशक का छिड़काव किया जा रहा है। पशु चिकित्सकों की टीमें 24 घंटे निगरानी कर रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस पक्षियों से अन्य जानवरों में भी फैल सकता है इसलिए सतर्कता और जांच बेहद जरूरी है।