
गणेश चतुर्थी पर बुधवार को 500 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि, रवि, प्रीति, इंद्र एवं ब्रह्म योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य शिवशरण पाराशर ने बताया कि मंगलवार दोपहर 1:54 बजे से बुधवार को दिन में 3:44 बजे तक चतुर्थी तिथि है। बुधवार को बन रहे दुर्लभ योग में गजानन महाराज विराजेंगे।
उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी पर बन रहे सर्वार्थ सिद्धि योग को कार्य सिद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है। रवि योग में सूर्य देव की कृपा बरसती है, जिससे आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है। प्रीति योग संबंधों में मधुरता और सौभाग्य प्रदान करता है। इंद्र योग को शक्ति, ऐश्वर्य और सफलता का योग माना जाता है, जबकि ब्रह्म योग ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति से जुड़ा है।
दुलर्भ योग में बुद्धि और समृद्धि के दाता गणेश की प्रतिमा स्थापित कर दूर्वा, अक्षत और जल से पूजा करने पर सभी संकट और बाधाएं दूर होंगी। बटेश्वर मंदिर के पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी ने बताया कि गौरीशंकर मंदिर में रोजाना पूजा होगी। बटेश्वर समेत बाह जैतपुर क्षेत्र के मंदिरों के अलावा पंडालों में गणेश प्रतिमा स्थापित कर उत्सव मनाया जाएगा। गांव देहात के मंदिरों में गणेश उत्सव की मंगलवार को दिनभर तैयारियां चलीं। प्रतिमाएं भी खूब बिकीं।
गणेश स्थापना मुहूर्त
गणेश स्थापना का उत्तम मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक रहेगा। इस अवधि को बेहद मंगलकारी और फलदायक माना जाता है।
गणेश चतुर्थी पर राहुकाल का भी रखें ध्यान
27 अगस्त 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट से राहुकाल शुरू हो रहा है, इसलिए गणेश जी की मूर्ति स्थापना इससे पहले कर लेना शुभ माना जाता है। राहुकाल के समय कोई भी मंगल कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ काल माना गया है।